tag:blogger.com,1999:blog-6215700670796750066.post1048769601122601642..comments2023-10-03T14:11:50.485+05:30Comments on दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: अंधेरे उजाले का द्वंद्व-हिंदी लघु व्यंगकथा (andhera aur ujala-hindi labhu katha)दीपक भारतदीपhttp://www.blogger.com/profile/06331176241165302969noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6215700670796750066.post-13389818426735346692009-11-01T03:09:22.574+05:302009-11-01T03:09:22.574+05:30अरे, अगर इस रौशनी और अंधेरे के द्वंद्व लोग समझ लेत...अरे, अगर इस रौशनी और अंधेरे के द्वंद्व लोग समझ लेते तो रौशने के सौदागर भूखे मर गये होते? सभी लोग उसी रौशनी की तरफ भाग रहे हैं। जमाना अंधा हो गया है। किसी को अपने दायें बायें नहीं दिखता। अरे, अगर तुमने तय कर लिया कि चकाचौंध वाले मार्ग पर नहीं जाऊंगा तो फिर जीवन की किसी सड़क पर दृष्टिभ्रम नहीं होगा।सवाल तो इस बात का है कि अपने निश्चय पर अमल कर पाओगे कि नहीं।’’<br />shandar... accha sandesh..Ambarishhttps://www.blogger.com/profile/10523604043159745100noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6215700670796750066.post-16697167169752974642009-11-01T00:32:25.923+05:302009-11-01T00:32:25.923+05:30बढ़िया काम
उत्तम काम
__अभिनन्दन !बढ़िया काम<br />उत्तम काम<br />__अभिनन्दन !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.com