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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, October 21, 2012

बेजान सच-हिंदी कविता (bejan sach-hindi kavita)

लोकतंत्र में
आम आदमी का मन लगाने के लिये
हर रोज नये चेहरे लाना जरूरी है,
चाल जैसी भी हो
मगर अदायें खूबसूरत रहें
भीड़ का दिल बहलाना जरूरी है।
कहें दीपक बापू
बाज़ार के सौदागरों के हाथ में फंसी दुनियां
दौलत से भरे महलों के आदी हैं सभी
ज़माने को काबू रखने के लिये
उनके  पहरेदारों के पास रहता डंडा
बिठा देते सिंहासनों पर खामोश बुत
झूठ छिपा रहे
इसलिये बेजान सच साथ रखना जरूरी है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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