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Sunday, September 6, 2009

जिन्न और पियक्कड़-हास्य व्यंग्य कविता (jinna aur drunkar-hasya kavita)

शराब की बोतल से जिन्न निकला
और उस पियक्कड़ से बोला
-"हुकुम मेरे आका!
आप जो भी मुझसे मंगवाओगे
वह ले आउंगा
बस शराब की बोतल नहीं मंगवाना
वरना मुझसे हाथ धोकर पछताओगे.


सुनकर पियक्कड़ बोला
-"मेरे पास बाकी सब है
उनसे भागता हुआ ही शराब के नशे में
घुस जाता हूँ
दिल को छु ले, ऐसा कोई प्यार नहीं देता
देने से पहले प्यार, अपनी कीमत लेता
तुम भी दुनिया की तमाम चीजें लेकर
मेरा दिल बहलाओगे
मैं तो शराब ही मांगूंगा
मुझे मालूम है तुम छोड़ जाओगे.
जाओ जिन्न किसी जरूरतमंद के पास
मुझे नहीं खुश कर पाओगे..
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1 comment:

Kulwant Happy said...

हास्य काव्य तो नहीं कहूंगा, लेकिन एक सही और समयोचित बहुत शानदार काव्य है।

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