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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Saturday, July 26, 2008

हमदर्दी बेचना अपना व्यापार मानते-हिंदी शायरी

जख्म जिनको होता है
दर्द ही होता है उनका अपना
हमदर्दी बस होती है दिखावा
बेघर होने का अहसास
जिनके घर उजड़ जाते वही जानते
बरसी है दौलत जिनके घर में
वह भला उजड़ने का दर्द क्या जानते
हमदर्दी में चंद शब्द कहने से
किसी का पेट नहीं भर जाता
उजड़ा घर बस नहीं जाता
जिन्होंने खोये हैं अपने हादसों में
दहशत के सौदागरों के हाथ
दिखाने के लिये कई लोग आगे बढ़ाते हाथ
जो हमदर्दी बेचना अपना व्यापार मानते
...............................................
यह हिंदी शायरी मूल रूप से इस ब्लाग
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जब तक बाजार में बिकेगी सनसनी-हिंदी शायरी

1 comment:

Dr. Ravi Srivastava said...

Namaskaar दीपक भारतदीप ji,

aap ne mere blog par apni nazarein inayaat kiya, shukriya.
mujhe aap ka sujhav bahut achcha laga. waise maine pahle se hi sunonaarad par request kiya hua hai.
But please help me how can i registered on ChotthaJagat???

Awaiting....

Ravi

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