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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Wednesday, April 27, 2011

जिंदगी और मौत में पैसे की ताकत-हिन्दी व्यंग्य कवितायें (zindagi aur maut mein paise ki takat-hindi vyangya kavitaen)

उनकी अर्थी 
डोली की तरह सजाई गयी
जिन्होंने उम्र भर
गरीबों के दर्द बांटने का
दावा करते हुए बिताया,
इंसानियत की करते रहे सेवा
पाया जमकर मेवा
इसलिये उनके मिट्टी हो चुके जिस्म को
चमकते हुए दिखायाा।
अमीर की जिंदगी और मौत
हमेशा खास होती है,
गरीब का कभी भाग्य उदय नहीं होता
और देह भी गरीबी में सोती है,
आखिर में यही संदेश सिखाया।
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उन्होने अपनी पूरी जिंदगी
लोगों को यही सिखाया,
दौलत मरने पर साथ नहीं चलती है,।
मगर जब उनकी पार्थिव देह को
चेलों ने कांच के महल में सजाया,
मिट्टी हो चुकी देह को फिर चमकाया,
गरीबों का भला करने वाले जिस्म को
देवताओं जैसा मिला मान
दर्द बांटने में पूरा ज़माना महसूस कर रहा था शान,
तब लगा कि
गरीब की अर्थी तो कफन को तरसती है,
मगर उसकी जिंदगी के भला करने वालों पर
दौलत कुछ यूं बरसती है,
उनकी अर्थी पर भी
देशी घी के चिरागों से रौशनी जलती है,
------------

जिंदगी भर लोगों को
सादगी बरतने का संदेश वह देते रहे,
मगर उनकी अर्थी
शहंशाहों की तरह सजायी गयी।
कहते थे वह
‘मरने के बाद
संसार के दौलत साथ नहीं चलती’
मगर उनके कफन की
कीमत ऊंची थी,
कहते हैं उनको चमत्कारी पुरुष थे,
जो पलट सकते थे संसार कई कायदे
इसलिये उनकी अर्थी भी
रत्नों के साथ डोली की तरह सजायी गयी।
पैसे की ताकत जिंदगी से ज्यादा यूं बतायी गयी।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
writer and editor-Deepak Bharatdeep,Gwalior, madhyapradesh
http://dpkraj.blogspot.com
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