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Thursday, June 26, 2014

बादशाह और फकीर-हिन्दी कविता(badshah aur fakir-hindi kavita)



राजमहलों में आनंद पाने की चाहत सभी पालते हैं,
खुले आसमान के नीचे जंग के मौके सभी टालते हैं।
बादशाहों की खुशफहमी  कि उनके पांव तले खजाना है,
फकीर की मस्ती है उन्हें किसी के पांव नहीं दबाना है
तख्त पर बैठे कई इंसान  हमेशा रहे बेचैन
उनका नाम कागज पर बादशाह की तरह चलता रहा,
कुछ नहीं मिला मेहनत करने पर भी वह भी खुश रहे
कभी की मस्ती कभी दौलतमंदों की हरकतों को हंसते सहा,
बुलंदियों पर पहुंचे जो दूसरों को गिराकर वह खुद भी गिरे,
सहुलियतों का घेरा लगाया मुश्किलों में भी वही घिरे,
कहें दीपक बापू जिंदा रहने के लिये साफ सांस जरूरी
शौहरत के दीवाने ज़माने में फैलाते सोच का जहर
उजाड़ते चमन पर अपनी जिंदगी की आस
गंदी हवाओं पर ही डालते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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