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Sunday, September 24, 2017

जिंदगी के दर्द यूं ही बहने हैं, हमदर्दों के शब्द भी सहने हैं-दीपकबापूवाणी (Zindagi ke Dard youn hi Sahane Hain-DeepakBapuWani)

जिंदगी के दर्द यूं ही बहने हैं,
हमदर्दों के शब्द भी सहने हैं।
‘दीपकबापू’ अपने जंग स्वयं लड़ना है
जख्म हमेशा साथ रहने हैं।
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झूठे बोल से लोगों के दिल लूटे,
असली रूप देखा कांच जैसे टूटे।
‘दीपकबापू’ यकीन मार चुके
पर जिंदगी से उसका नाता न टूटे।।
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चलो बाहर टहल आयें,
सड़क पर दिल बहलायें।
‘दीपकबापू’ अंधेरे की प्रतीक्षा क्यों करें
पहले ही चिराग जलायें।
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अपने घर से जो लोग तंग हैं,
शोर करती भीड़ के संग हैं।
‘दीपकबापू’ बदहाल ज़माने में
रह गये दर्द के ही ढेर रंग हैं।
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हर स्वाद चखने का है चाव,
चाहत से महंगे हो गये भाव।
‘दीपकबापू’ दिल काबू में नहीं
चीज लूटने की जंग में झेलते घाव।।
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अपने कामयाबी पर बोलते रहें
अपनी गम और खुशी खोलते रहें।
‘दीपकबापू’ आओ बहरे हो जायें
अमीरों के बड़ेबोल कब तक सहें।
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