आदर घटे नरेस ढिंग, बसे रहे कछु नाहिं
जो रहीम कोटिन मिले, धिग जीवन जग माहिं
कविवर रहीम कहते हैं कि राजा के समीप सदा निवास करने से सम्मान में कमी आती है और कुछ भी प्राप्त नहीएँ होता। यदि व्यक्ति भीड़ में शामिल हो जाता है तो उसकी अपनी कोई पहचान नहीं रहती। ऐसे जीवन को धिक्कार है।
आप न काहूँ काम कि, डार पात फल फूल
औरन को रोकत फिरै, रहिमन पेड़ बबूल
कविवर रहीम कहते हैं कि जैसे बबूल के पेड़ की शाखा, पत्ते पेड़, फल और फूल किसी काम के नहीं होते और अन्य पेड़ों के विकास को भी रोक लेते हैं, उसी प्रकार अनेक व्यक्ति व्यर्थ जन्म लेकर दुसरे व्यक्तियों के जीवन में भी बाधक बन जाते हैं।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
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