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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Thursday, January 10, 2008

रहीम के दोहे:ओछा व्यक्ति बड़ा पद पाकर इतराता है

जो बड़ेन को लघु कहैं नहिं रहीम घटि जाहिं
गिरधर मुरलीधर कहै, कछु दुख मानत नाहिं


कविवर रहीम कहते हैं कि जो बडे लोगों को तुच्छ कहते हैं वह कथन मात्र से छोटे हो जाते। गोवर्धन पर्वत धारी श्री कृष्ण को मुरली पकड़ने वाला कहने से कुछ दुख नहीं होता।
भावार्थ- यदि किसी में कोई योग्यता और शक्ति है तो उसको समाज में बहुत सम्मान मिलता है पर अगर कुछ निम्न कोटि के लोग उसकी आलोचना करते हैं तो उसको कोई नहीं सुनता क्योंकि जिसमें शक्ति है उसकी सभी पूजा करते हैं और वह इन बातों की परवाह नहीं करते कि कोई उनके बारे में क्या कह रहा है।

जो रहीम ओछो बढे तौ अति ही इतराय
प्यादे सौं फर्जी भयो, टेढो टेढो जाय


कविवर रहीम कहते हैं कि छोटे व्यक्ति बड़ा पद पाने के बाद अहंकारी हो जाते हैं-जैसे शतरंज के खेल में पैदल चलाने वाला यदि वजीर बन जाये तो वक्र गति से चलने लगते हैं।

भावार्थ-कुछ बहुत ओछी मनोवृति के लोग होते हैं जिनको थोडी योग्यता, संपति या सम्मान मिलता है वह फूल जाते हैं और अपने मुहँ से अपनी बधाई करते हैं और ऐसे दिखावा करते हैं जैसे कि बहुत बडे व्यक्ति हो गए हैं। ऐसे लोगों कि परवाह नहीं करना चाहिऐ.

जो रहीम ओछो बढे तौ अति ही इतराय
प्यादे सौं फर्जी भयो, टेढो टेढो जाय

कविवर रहीम कहते हैं कि छोटे व्यक्ति बड़ा पद पाने के बाद अहंकारी हो जाते हैं-जैसे शतरंज के खेल में पैदल चलाने वाला यदि वजीर बन जाये तो वक्र गति से चलने लगते हैं।

भावार्थ-कुछ बहुत ओछी मनोवृति के लोग होते हैं जिनको थोडी योग्यता, संपति या सम्मान मिलता है वह फूल जाते हैं और अपने मुहँ से अपनी बधाई करते हैं और ऐसे दिखावा करते हैं जैसे कि बहुत बडे व्यक्ति हो गए हैं। ऐसे लोगों कि परवाह नहीं करना चाहिऐ

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