गुरु कीजैं जानि के, पानी पीजैं छानि
बिना विचारै गुरु करे, परे चौरासी खानि
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं की पानी को सदैव छान कर पीना चाहिऐ तथा गुरू को अच्छी तरह जान कर ही अपना गुरु बनाना चाहिऐ . छान कर पानी पीने से शरीर को व्याधियां नहीं होती और गुरु से सदगति प्राप्त होती है. अगर किसी अयोग्य को गुरु बना लिया तो फिर चौरासी के चक्कर में पड़ना पडेगा।
गुरु गुरु में भेद है, गुरु गुरु में भाव
सोईं गुरु नित वंदिए, शब्द बतावे दाव
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि गुरु शब्द एक ही पर फिर भी गुरु कहलाने वाले लोगो के कर्मों के आधार पर उनमें अंतर होता है. ऐसे व्यक्ति को बुरु बनाना चाहिऐ जो शब्द के दाव बताने की अलावा उसके गूढ़ और भावनात्मक अर्थ बताता है।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
1 comment:
क्या बात है। बहुत ही अच्छे दोहे है।
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