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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Saturday, February 23, 2008

संत कबीर वाणी:सोने का मदिरा से भरा पात्र भी निंदनीय

ऊंचे कुल की जनमिया करनी ऊँच न होय

कनक कलश मद सों, भरा साधू निंदा सोय

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि केवल ऊंचे कुल में जन्म लेने से किसी के आचरण ऊंचे नहीं हो जाते। सोने का घडा यदि मदिरा से भरा है तो साधू पुरुषों द्वारा उसकी निंदा की जाती है।

कोयला भी हो ऊजला जरि बरि ह्नै जो सेव

कनक कलश मन सों, भरा साधू निंदा होय

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं भली भांति आग में जलाकर कोयला भी सफ़ेद हो जाता है पर निबुद्धि मनुष्य कभी नहीं सुधर सकता जैसे ऊसर के खेत में बीज नहीं होते।

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