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Saturday, October 17, 2009

क्या रौशन करेंगे यह तेल के दिये-हिंदी कविता (roshni aur andhera-hindi kavita)


दीपावली पर घर में
आले में बने मंदिर से लेकर
गली के नुक्कड़ तक
प्रकाश पुंज सभी ने जला दिये।

अंतर्मन में छाया अंधेरा
सभी को डराता है
लोग बाहर ढूंढते हैं, रौशनी इसलिये।

ज्ञान दूर कर सकता है
अंदर छाये उस अंधेरे को
पर उसके लिये जानना जरूरी है
अपने साथ कड़वे सत्य को
जिससे दूर होकर लोग
हमेशा भाग लिये।

कौन कहता है कि
लोग खुशी में रौशनी के चिराग जला रहे है,ं
सच तो यह है कि लोग
बाहर से अंदर रौशनी अंदर लाने का
अभियान सदियों से चला रहे हैं
मगर आंखों से आगे सोच का दरवाजा बंद है
बाहर प्रकाश
और अंदर अंधेरा देख कर
घबड़ा जाते हैं लोग
धरती को रौशन करने वाला आफताब भी
इंसान के मन का
अंधेरा दूर न कर सका
तो क्या रौशन करेंगे यह तेल के दिये।

.............................
कवि और संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com

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