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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, August 17, 2014

हृदय के भाव-हिन्दी कविता(hridya ke bhav-hindi poem)



भीड़ में भक्ति भाव
जब दिखाया जाता है
लगता है मानो
पंक्ति में खड़े होकर
राशन की लाईन में
फल के लिये
नाम लिखाया जाता है।

कहें दीपक बापू हृदय के भाव
बाहर कभी झूंड में नहीं आते,
शोर के बीच सर्वशक्तिमान का रूप
देखते हुए नरमुंड आपस में टकराते,
आसमान की तरफ
ताकने को बाध्य करते
जमाने को राह दिखाने वाले
किसी को अंतर्मन में
दर्शन करना सिखाया नहीं जाता
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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