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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, March 18, 2008

सामान भी आदमी की तरह पुराने हो जाते हैं-हिन्दी शायरी

अपनी रौशनी बेचने के लिए
पहले अँधेरे वह करवाते हैं
सौदागरों को जमाने से क्या मतलब
उन्हें तो अपनी चीज के दाम सुहाते हैं
आग लगाने का सामान हो या बुझाने का
दोनों ही वह बाजार में सजाते हैं

चैन और अमन कभी बाजार में नहीं मिलते
सुख और प्यार कहीं सजता नहीं
पर सौदागर इनको भी सजाते हैं
डुगडुगी बजाकर सन्देश सुनाने वाले
उनके प्रचार में झूठ को ही सच बताते हैं
ए, बाजारमें सौदा लेने वालों
पैसे के साथ अपनी अक्ल भी साथ ले जाना
चीजें खरीदना पर दिल न लगाना
सामान भी आदमी की तरह पुराने हो जाते हैं
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3 comments:

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया होली पर्व की आपको रंगीन हार्दिक शुभकामना

Admin said...

वाह...बहुत बड़ी बात कह दी आपने..होली भी मुबारक

Alpana Verma said...

achcha chintan hai.

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