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Sunday, August 9, 2009

कागजी पुलिंदे-व्यंग्य कविता (kagzi pulinde-vyangya kavieaen)

इतना बड़ा देश है
समस्याओं के लगे ढेर हैं
सुलझाने वाले कागजी शेर हैं
वह कभी हल नहीं हो पायेंगी।
इसलिये जिंदा रखना जरूरी है
देशभक्ति और समाज कल्याण के
कागजी पुलिंदे
जरूरत पड़े तो भुला दो
और कर लो जिंदे
यूं ही जुबानी चर्चायें करते रहो
सुर्खियों में रहे, ऐसी बात कहो
मुसीबतें समय से खुद ही
आयेंगी और जायेंगी।
...................
आम आदमी हो तो
हमेशा देश के लिये
भक्ति दिखाते जाओ
वरना मुश्किल हो जायेगा।
अगर खास हो तो बस
बैठकर अपने रिश्ते निभाओ
किसी में हिम्मत नहीं है
जो सच से सामना करायेगा।

........................
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