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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Saturday, May 10, 2014

इश्क में दिल तो टूटना ही है-हिन्दी व्यंग्य कवितायें(ishq mein dil to tootna hi hai-hindi vyangya kavitaen)



इश्क के अफसाने  में एक शिकार दूसरा होता शिकारी,
जिस्म की हवस ऐसी कि दौलतमंद को भी बना देती  भिखारी।
अखबारों में छपे है किस्से कई आशिक बने ज़माने के लिये कातिल,
कामयाब हुए वह भी अपनी गृहस्थी चलाते हुए गये हिल।
कहें दीपक बापू इंसान से इश्क जिस्मानी भूख की है पहचान,
कहते पुराने लोग सर्वशक्तिमान मे दिल लगाये वही आशिक महान।
दुनियावी इश्क में इधर या उधर किसी को रूठना ही है,
कहीं  आशिक माशुक तो कहीं ज़माने का दिल टूटना ही है।
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जिस्मानी इश्क का भूत जब किसी के सिर चढ़ जाता है,
वह शिकारी बेझिझक शिकार की तरफ बढ़ जाता है।
कहें दीपक बापू कोई जिस्मानी इश्क में भूत बनकर आशिक
लड़ता जहान से कभी अपनी तबाही की तरफ भी बढ़ जाता है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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