जुबान कभी नहीं बोलती
तब खामोशी बहुत कुछ कह जाती है
शब्दों का दिल से बाहर आना
बेकार लगता है
तब आखें दर्द दिखा जातीं है
जब लोग भीड़ में चिल्ला रहे हों
अकेले में भी अपनी जुबान से इठला रहे हों
तब खामोशी से दोस्ती कर लो
वही दर्द का इलाज हो जाती है
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दीपक भारतदीप
तब खामोशी बहुत कुछ कह जाती है
शब्दों का दिल से बाहर आना
बेकार लगता है
तब आखें दर्द दिखा जातीं है
जब लोग भीड़ में चिल्ला रहे हों
अकेले में भी अपनी जुबान से इठला रहे हों
तब खामोशी से दोस्ती कर लो
वही दर्द का इलाज हो जाती है
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दीपक भारतदीप
1 comment:
bhut hi sundar rachana.badhai ho.
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