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Friday, April 16, 2010

बेईमानी और ज़मीर-हिन्दी शायरी (beimani aur zamir-hindi shayri)

कोयले की दलाली में
हाथ भी काले हो जाते हैं,
पर सोने के सौदे में
हाथ सोने के कहां हो पाते हैं,
मगर समाज सेवा वह धंधा है
जिसमें आदमी ही सोने के हो जाते हैं।
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किसी ने सच कहा है कि
बेईमानी किये बिना
कोई अमीर नहीं बन सकता,
पर आजकल हर जगह चमक रहे अमीर
उनकी बेईमानी का जिक्र भी
कोई नहीं करता,
किसे दें दोष
झूठी अमीरी की तारीफें
गा रहा है पूरा ज़माना
बेईमानी से
इसलिये अब किसी का जमीर नहीं डरता।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://rajlekh.blogspot.com
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