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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Saturday, April 3, 2010

दौलत का किला-हिन्दी शायरी (daulat ka kila_hindi shayri)

कैसे यकीन करें
उनके वादों पर
खड़े कर लिये अपने रहने के लिये महल,
करते हैं गरीबों के लिये झुग्गियों की पहल,
लोहे के चलते किलें में करते हैं सफर,
टूटी सड़कों बनाने का वादा करते मगर,
हर बार चमकते हैं आंखों के सामने
जब वादों का मौसम आता है।
उनकी ईमानदारी की कसमों पर यकीन
कैसे करें
क्योंकि दौलत का किला तो
बेईमानी और छलकपट से ही तो बन पाता है।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://rajlekh.blogspot.com
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