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Thursday, June 3, 2010

जगहंसाई-हिन्दी शायरी (jaghasai-hindi shayari)

किसी की दौलत और शौहरत देखकर
क्यों अपना दिल जला रहे हो,
अपने चिराग खुद जलाओ
दूसरों की रौशनी देखकर
अपनी आंखें क्यों गला रहे हो।

कह दिये किसी ने अपशब्द
भूल जाने में ही भलाई है,
रोकर सभी को दर्द बयान करने
व्यर्थ में ही जंगहंसाई है,
बोलने वाले को जलने दो
अपनी आग में
तुम क्यों याद कर
अपनी सोच को कांटों पर चला रहे हो।
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कवि, लेखक और संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com

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1 comment:

संगीता पुरी said...

कह दिये किसी ने अपशब्द
भूल जाने में ही भलाई है,
रोकर सभी को दर्द बयान करने
व्यर्थ में ही जंगहंसाई है,
बोलने वाले को जलने दो
अपनी आग में
तुम क्यों याद कर
अपनी सोच को कांटों पर चला रहे हो।
बिल्‍कुल सही !!

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