यह खबर भारतीय प्रचार माध्यमों से लापता है कि सऊदी अरब ने मुहर्रम के अवसर पर यमन की एक मस्जिद बमबारी की जिसमें करीब 200 नमाज मार गये तथा 500 से अधिक घायल हुए। फेसबुक पर ही यह खबर देखने को मिली। वैसे भी शियाओं को अपना दुश्मन मानने वाला सऊदी अरब इस समय ईरान को भी ललकार रहा हैं। उधर रूस व अमेरिका भी तीसरे विश्व युद्ध का भय पैदा करते हुए नज़र आ रहे हैं। इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच तो द्वंद्व पहले से था अब दोनों के अंदर भी वाक्युद्ध तेजी से चल रहा है। सच बात तो यह है कि अगर दोनों जगह कोई ज्वलंत विषय नहीं भी होता तो तीसरी दुनियां के द्वंद्व में उनको फंसना ही था। समस्या यह है कि पाकिस्तान अपने जिन सहधर्मी राष्ट्रों की धोंस दिखाता है सभी भारी संकट में फंसे हैं। इतना ही नहीं भारत में भी कुछ ऐसी ताकते हैं जो पश्चिमी प्रभाव में यहां अपना रुतवा दिखाती हैं। इस समय पूरा पश्चिम डांवाडोल हैं। अमेरिका लगातार पाकिस्तान को डांट लगा रहा है पर इससे भारत के लिये कोई लाभ नहीं होने वाला है। ऐसे में भारतीय रणनीतिकार अगर अपनी शक्ति और सामर्थ्य का आंकलन पाकिस्तान से अधिक अनुभव करें तो सीधे एक के एक सर्जीकल स्ट्राइक कर डालेें। इससे अच्छा अवसर आने वाला नहीं है। चीन डरपोक और चतुर है। अमेरिका से लड़ाई में वह रूस का समर्थन कर सकता है पर साथ नहीं देगा। कमोबेश पाकिस्तान के साथ भी वही व्यवहार करेगा। अगर विश्व में बड़े पैमाने पर युद्ध होता है तो चीन खामोश रहेगा क्योंकि युद्ध के बाद सभी देश कुछ समय के लिये कमजोर हो जायेंगे और वह महाशक्ति बन जायेगा।
इस समय बलोचिस्तान का मामला यूरोपीय संघ के देशों के समर्थन के कारण गरमाया हुआ है अतः भारत अगर चाहे तो सीधे ही इस विषय में पाकिस्तान से यह कहते हुए पंगा ले कि यह प्रांत भारत का हिस्सा था। पहले आजाद हुआ जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है। अमेरिका इसका समर्थन नहीं करेगा पर अगर भारत ने कुछ सफलता पायी तो वह 1971 में बांग्लादेश की तरह सबसे पहले वहां की सरकार को मान्यता देगा। अगर रूस व अमेरिका सीधे आपस में भिड़ते हैं तो भारत के लिये सुनहरा अवसर होगा कि वह पाकिस्तान को समाप्त कर डाले। अगर ऐसा नहीं किया तो पाकिस्तान भारत के लिये भारी संकट बन जायेगा।
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