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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, April 25, 2016

दिल का इरादा-हिन्दी कविता(Dil ka Irada-Hindi Kavita)

कभी कभी प्रेम भरे
शब्द भी प्रयोग कर लेते हैं
भले दिल का इरादा न हो।

जिंदगी का खेल
व्यापार बन गया है
भले फायदा ज्यादा न हो।

कहें दीपकबापू दिल की बात
अब बाहर लाना ठीक नहीं
हल्दी लेकर चूहे बने वज़ीर
देते चालाकी की नज़ीर
शायद ही कोई शब्द हो
जिसमें झूठा वादा न हो।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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Thursday, April 14, 2016

नैतिकता की दीवार-हिन्दी कविता (Natikta ki Deewar-Hindi Kavita)

इतनी सस्ती नहीं है
इंसानी  जिंदगी
जितनी समझ रहे हो।

खौफनाक हवाओं से
बचाती नैतिकता की दीवार
कीमत उतनी नहीं
जितनी समझ रहे हो।

कहें दीपकबापू तिनके से
सहारा लेकर पार हुए
सवारों से पूछो
कमजोर की मदद
उतनी छोटी नहीं
जितनी समझ रहे हो।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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Friday, April 1, 2016

जहां जीत वहीं हार-हिन्दी कविता (Jahan jeet vahin har-HindiKavia)

बड़े पैमाने की दुआऐं भी
उन्हें कामयाबी
नहीं दिला पाती।

मायावी संसार में
दीवानगी के रोग को
दवा नहीं हिला पाती।

कहें दीपकबापू दिल में
जहां जीत की खुशी बसे
वहां हार की खबर
वीभत्स रस पिला जाती।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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