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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, December 27, 2015

मनुष्य के विचार-हिन्दी कविता(Manushya ke Vichar-Hindi Kavita)


हृदय के सद्भाव का
शब्दों में प्रदर्शन करना
मुश्किल लगता है।

मन में पलता दर्द
संकेतों में समझाना
मुश्किल लगता है।

कहें दीपकबापू भावना से
प्रशंसा करें
समझी जाये चमचागिरी
आलोचना करने पर
दिखायें दादागिरी
तेज हवाओं से अधिक
मनुष्य के विचार समझना
मुश्किल लगता है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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Thursday, December 17, 2015

रक्त जलाने वाले भोग-हिन्दी कविता(Rakt jalane wale Bhog-Hindi Kavita)

सर्वशक्तिमान के दरबार में
ढोल बजाकर भी
चैन नहीं पाते लोग।

पंचसितारा अस्पतालों की
परिक्रमा करते हुए भी
पीछा नहीं छोड़ते रोग।

कहें दीपकबापू एकांत में
साधना का तरीका
जानते नहीं
ज्ञान से संबंध मानते नहीं
महलों में रक्त जलाने वाले
ढूंढते नित नये भोग।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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Tuesday, December 8, 2015

दिल का हाल-हिन्दी कविता(Dil ka hal-hindi kavita)

अपनी जिंदगी फंसी दी
बेकार के मसलों में
हल का उठाते सवाल।

 अपना मतलब निकले
सब ठीक लगता
वरना करते बवाल।

कहें दीपकबापू अकविता
लिखना कठिन कविता से
द्रवित शब्द नहीं ढूंढते ताल
आंखों से पढ़कर ही
कभी कोई समझे दिल का हाल।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
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