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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Wednesday, December 21, 2016

ईमानदारी नहीं बनती आदत-हिन्दी व्यंग्य कविता (Imandari Nahin Banti Adat-HindiSatirePoem)


सौदागर बेचते
मासूमों के बाजार में
ज़माने की भलाई।

सौदे में चीज
कभी देनी नहीं
मुंह में मिलती मलाई।

कहें दीपकबापू मधु का मेह
इतना हो गया है
फिर भी स्वाद
उनका मिटता नहीं
बेईमानों के लिये
ईमानदारी की आदत
कभी नहीं बनती दवाई।
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Wednesday, November 2, 2016

लोकतंत्र में सेवक स्वामी-हिन्दी व्यंग्य कविता (Loktantra mein Sewas Swami-Hindi Satire Poem)

लोकतंत्र के पर्दे पर कलाकार
कभी नायक 
कभी खलनायक की
भूमिका निभाते हैं।

कभी परस्पर मित्र
कभी शत्रुता निभाते हैं।

कहें दीपकबापू यह खेल है
पैसा फैंकने वाले
बन जाते निदेशक
लेने वाले इशारा मिलते ही
कभी सेवक 
कभी स्वामी की भूमिका निभाते हैं।
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-दीपक ‘भारतदीप’-

Thursday, October 13, 2016

अमेरिका व रूस के तेवर से विश्वयुद्ध के आसार-हिन्दी लेख (America And Russia Preparing Third Worldwar-Hindi Article)

       
                                            यह खबर भारतीय प्रचार माध्यमों से लापता है कि सऊदी अरब ने मुहर्रम के अवसर पर यमन की एक मस्जिद बमबारी की जिसमें करीब 200 नमाज मार गये तथा 500 से अधिक घायल हुए। फेसबुक पर ही यह खबर देखने को मिली।  वैसे भी शियाओं को अपना दुश्मन मानने वाला सऊदी अरब इस समय ईरान को भी ललकार रहा हैं।  उधर रूस व अमेरिका भी तीसरे विश्व युद्ध का भय पैदा करते हुए नज़र आ रहे हैं।  इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच तो द्वंद्व पहले से था अब दोनों के अंदर भी वाक्युद्ध तेजी से चल रहा है।  सच बात तो यह है कि अगर दोनों जगह कोई ज्वलंत विषय नहीं भी होता तो तीसरी दुनियां के द्वंद्व में उनको फंसना ही था। समस्या यह है कि पाकिस्तान अपने जिन सहधर्मी राष्ट्रों की धोंस दिखाता है सभी भारी संकट में फंसे हैं।  इतना ही नहीं भारत में भी कुछ ऐसी ताकते हैं जो पश्चिमी प्रभाव में यहां अपना रुतवा दिखाती हैं।  इस समय पूरा पश्चिम डांवाडोल हैं। अमेरिका लगातार पाकिस्तान को डांट लगा रहा है पर इससे भारत के लिये कोई लाभ नहीं होने वाला है। ऐसे में भारतीय रणनीतिकार अगर अपनी शक्ति और सामर्थ्य का आंकलन पाकिस्तान से अधिक अनुभव करें तो सीधे एक के एक सर्जीकल स्ट्राइक कर डालेें।  इससे अच्छा अवसर आने वाला नहीं है।  चीन डरपोक और चतुर है। अमेरिका से लड़ाई में वह रूस का समर्थन कर सकता है पर साथ नहीं देगा। कमोबेश पाकिस्तान के साथ भी वही व्यवहार करेगा।  अगर विश्व में बड़े पैमाने पर युद्ध होता है तो चीन खामोश रहेगा क्योंकि युद्ध के बाद सभी देश कुछ समय के लिये कमजोर हो जायेंगे और वह महाशक्ति बन जायेगा।
                   इस समय बलोचिस्तान का मामला यूरोपीय संघ के देशों के समर्थन के कारण गरमाया हुआ है अतः भारत अगर चाहे तो सीधे ही इस विषय में पाकिस्तान से यह कहते हुए पंगा ले कि यह प्रांत भारत का हिस्सा था। पहले आजाद हुआ जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया है। अमेरिका इसका समर्थन नहीं करेगा पर अगर भारत ने कुछ सफलता पायी तो वह 1971 में बांग्लादेश की तरह सबसे पहले वहां की सरकार को मान्यता देगा।  अगर रूस व अमेरिका सीधे आपस में भिड़ते हैं तो भारत के लिये सुनहरा अवसर होगा कि वह पाकिस्तान को समाप्त कर डाले। अगर ऐसा नहीं किया तो पाकिस्तान भारत के लिये भारी संकट बन जायेगा।
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Sunday, September 25, 2016

चेहरों की चमक कृत्रिम लेप से बढ़ी-दीपकबापूवाणी (Chehron ki Chamak kritri lep se badhi-DeepakBapuWani)

बाज़ार से सामान खरीदते रहे घर सजाने के लिये।
फिर भी मन नहीं भरा चल पड़े कबाड़ जलाने के लिये।
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कत्ल तलवार से ही नहीं जुबान से भी किये जाते हैं।
सिर का जख्म तो दिखे पर दिल के दर्द तो पिये जाते हैं।
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चलित दूरभाष हाथ में सभी पकड़े, दिल दिमाग खाली हवा में जकड़े।
 ‘दीपकबापू’ बुद्धि भ्रम में फंसे, संकरे मार्ग चौराहे पर होते बेबात लफड़े।।
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हथियारों के भंडार जमा कर लिये, पसीना लूटा अभाव कमा कर दिये।
‘दीपकबापू’ शांति का नारा लगाते, बेकारों को झंडे डंडे थमा कर दिये।।
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सुबह दरबार मेे जाकर सिर झुकाते, शाम मदिरालय में गर्दन झुलाते।
‘दीपकबापू’ मर्जी के मालिक नहीं, लोग उधार नशे से नींद को सुलाते।।
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चेहरों की चमक कृत्रिम लेप से बढ़ी, नकली सुंदरता की कीमत चढ़ी।
‘दीपकबापू’ आंखों पर चढ़ाया चश्मा, चक्षुओं पर उधार की दृष्टि गढ़ी।।
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दौलतमंदों के घर ज़माने का दर्द मन बहलाने के लिये बिकता है।
सुविधाओं के महल में बैठे हैं, आंसू केवल पर्दे पर दिखता है। 
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सौदागरों के जो जीवित बुत बन जाते, मरकर भी पत्थर की तरह तन जाते।
‘दीपकबापू’ जिंदगी को व्यापार बनाया, गुलाम बिके खरीददार अमीर बन जाते।।
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प्रकृति के नियमों से मुंह मोड़ा, कृत्रिम विचार से जीवन जोड़ा।
‘दीपकबापू’ भंवर में फंसे हैं, नया किनारा बना नहीं पुराना तोड़ा।
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वह काला चेहरा धवल कर आये पर नीयत तो काली थी।
दुश्मनों ने पोल खोली, जिस पर सफेद चादी डाली थी।।
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नासमझों से बहस करते थक गये, मूर्खों को समझाते पक गये।
‘दीपकबापू’ शब्द बेकार में खर्च किये, लोग बिना सोचे बक गये।।
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क्षणिका
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पंचतारा चिकित्सालय
बीमारों की बढ़ती भीड़
अमीर होने की निशानी है।

गरीबों की बात 
कभी नहीं करना
पिछड़ापन हो या विकास
उसे बदहाली पानी है।
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Friday, September 23, 2016

भारत के प्रचार ने नहीं परमाणु सामग्री व तकनीकी बेचकर पाक ने विश्व को शत्रु बनाया-हिन्दीसंपादकीय (NeuclearPower anymy of Pakistan--Hindi Editorial)


कूटनीति का खेल प्रत्यक्ष नहीं दिखता। उसके अनुमान लगाने पड़ते है। पाकिस्तान को अलग थलग मेें भारत के प्रयास से ज्यादा उसके दुष्कर्म जिम्मेदार हैं। यकीन करिये पाकिस्तान चीन सहित विश्व के सभी देशों के लिये कांटा बना है। जिस परमाणुशक्ति पर पाक इतरा रहा है वही उसके पतन का कारण होगी। उसने ईरान तथा उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीकी बेची। तब अमेरिका के निकट उसे थोड़ा हल्का माना गया पर अभी हाल ही मेें उसने फिर उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार बेचे। वह उत्तर कोरिया जो विश्व के लिये खतरा बन गया है। प्रत्यक्ष चीन उसका मित्र है पर सामरिक दृष्टिकोण में कोई किसी का शक्तिशाली होना सहन नहीं करता। हमारा मानना है कि चीन नादान मित्र बनकर पाकिस्तान को निपटाने की तैयारी तो भारत का दाना शत्रु बनकर उसे इसके लिये प्रेरित भी कर रहा है।
भारत में कथित विद्वान भी इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे बस, केवल अपनी ताकत को लेकर फूल रहे हैं। पाकिस्तान के विरुद्ध विश्व भर में चिंता फैली है और माना जाना चाहिये कि सभी बड़े देशों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर यह जिम्मा डाल दिया है कि वह पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से रहित करें। पैदल सेना की ज्यादा हलचल नहीं पर यह सोचना भ्रम होगा कि कहीं कुछ चल नहीं रहा। पाकिस्तान के विभाजन से ज्यादा भारत की दिलचस्पी पाक को परमाणु शक्तिहीन करना है। यह तब होगा जब पाकिस्तान के रणनीतिकारों को ऐसी हालात में लाया जायेगा जब वह विश्व की हर शर्त माने। पाकिस्तान परमाणु सामग्री तथा तकनीकी का निर्यात जिस तरह कर रहा है उससे विश्व के सभी राष्ट्र चिंतित हैं-चीन भी कोई लोहे का बना नहीं है जो अपने इस नादान दोस्त को दाने दुश्मन भारत के मुकाबले ज्यादा महत्व दे। उसने कश्मीर पर पाक का साथ न देकर यही संदेश दिया है। मतलब जो करना है वह भारत ही करे बाकी तो तमाशाई बने रहेेंगे। अब भारत के रणनीतिक कौशल की परीक्षा है जिसमें उत्तेजना तथा क्रोध जैसे दुर्गुण से बचना ही चाहिये।


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Saturday, September 10, 2016

दिल से खेलने वाले-हिन्दी कविता (Dil Se Khelne Wale-HindiKavita)


अपने गिरेबां में
कौन झांकता हैं।

भलाई कभी किसी की
करता नहीं
वही आदमी घर के बाहर
सेवक की तख्ती टांकता है।


कहें दीपकबापू दिल से
खेलने वाले सौदागरों की
पसंद बन गया
वही नायक की तरह तन गया
रुपहले पर्दे पर
अपना ज्ञान फांकता है।
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Thursday, August 11, 2016

हमारा कारवां-हिन्दी कविता (Hamara Karvan-HindiPoem)

एक तो रास्ता
ऊबड़खाबड़ था
फिर हमराही भी सुस्त थे
वरना हम भी मंजिल तक
पहुंच गये होते।

कहें दीपकबापू हमारा कारवां
बहुत बड़ा था
मजबूरियों के साथ
कमजोरी से खड़ा था
ताकतवारों की नीयत साफ होती
हम भी थकते नहीं
शिखर पर पहुंच गये होते।
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Friday, July 22, 2016

स्वाद में फंसे-हिन्दी शायरी (Swad mein Fanse-HindiShayari)


पर्दे पर तस्वीर
देखकर बहक जाते हैं।

शोरगुल के स्वर सुनकर
कान चहक जाते हैं।

कहें दीपकबापू स्वाद में
फंसे ज़माने के लोग
व्याधि के भोजन से
पेट में कांटे महक जाते हैं।
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Thursday, July 14, 2016

विश्वास का रिश्ता-हिन्दी कविता (Vishvas ka rishta-HindiKavita)


दिल का फासला
जब ज्यादा हो
घर दूर नज़र आता है।

प्रेम का मोल न हो
विश्वास का रिश्ता भी
बहुत दूर नज़र आता है।

कहें दीपकबापू अपनों में
मनोबाल बढाना आता नहीं
टकटकी लगाये बैठे
भरोसा निभाने की
जबकि विश्वास का धरा पर
उतरना दूर नज़र आता है।
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Sunday, June 26, 2016

स्वार्थ की दीवार-हिन्दी व्यंग्य कविता(Swarth ki Deewar-Hindi Satire Poem)


भावनाओं के समंदर में
ख्यालों की लहर
उठती गिरती हैं।

जश्न की साथी भीड़
मुश्किलों में दौर में
वादे से फिरती है।

कहें दीपकबापू दिल में
अपने अपने टापू
बना लिये ज़माने में
जिसकी हर दीवार
स्वार्थ से घिरती है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
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Friday, June 10, 2016

दिल टूटे मिलते हैं-हिन्दी कविता(Dil Toote milte hain-Hindi Kavita)


अपने कदम 
जिस लक्ष्य की तरफ बढ़ायें
रास्ते टूटे मिलते हैं।

हर चेहरा देखकर
दोस्ती की चाहत होती
मगर दिल रूठे मिलते हैं।

कहें दीपकबापू व्यवहार से
पहचान होती है
बातों के सभी शेर
पराक्रम के दावेदारों को
हमेशा बंधे खूंटे मिलते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Tuesday, May 31, 2016

प्यार की भाषा-हिन्दी कविता (Pyar ki Bhasha-Hindi Kavita)

सम्मान के शब्द से
अयोग्य लोग
फूल जाते हैं।

प्यार की भाषा
समझते नहीं कभी
मद में झूल जाते हैं।

कहें दीपकबापू समझ से
संबंध नहीं रहा ज़माने का
एक पल देखते सामने
अगले पल भूल जाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Saturday, May 14, 2016

अनमोल रत्न-हिन्दी कविता (Anmol Ratna-Hindi Poem)

सभी भव्य इमारतें
आम इंसान का 
निवास नहीं होती।

रसीले गुरुओं के आश्रम
कुशल चिकित्सकों की दुकान
भव्यता में कम नहीं होती।

कहें दीपकबापू अनमोल रत्न
प्यास नहीं बुझा पाते
फिर भी इंसान में
अमीर बनने की इच्छा
कभी कम नहीं होती।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Sunday, May 1, 2016

सार्वभौमिक सत्य-हिन्दी कविता (Uniqe True-HindiPoem On May Day or Mazdoor Diwas)

शरीर से पसीना
निकलने के भय से
कुछ लोग घबड़ाते हैं।

पंचसितारा अस्पतालों के
चिकित्सक उनके लिये
महंगे बिस्तर सजाते हैं।

कहें दीपकबापू श्रमवीरों से
सजता संसार
यह सार्वभौमिक सत्य
मजदूर दिवस पर ही
नारे की तरह बजाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Monday, April 25, 2016

दिल का इरादा-हिन्दी कविता(Dil ka Irada-Hindi Kavita)

कभी कभी प्रेम भरे
शब्द भी प्रयोग कर लेते हैं
भले दिल का इरादा न हो।

जिंदगी का खेल
व्यापार बन गया है
भले फायदा ज्यादा न हो।

कहें दीपकबापू दिल की बात
अब बाहर लाना ठीक नहीं
हल्दी लेकर चूहे बने वज़ीर
देते चालाकी की नज़ीर
शायद ही कोई शब्द हो
जिसमें झूठा वादा न हो।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Thursday, April 14, 2016

नैतिकता की दीवार-हिन्दी कविता (Natikta ki Deewar-Hindi Kavita)

इतनी सस्ती नहीं है
इंसानी  जिंदगी
जितनी समझ रहे हो।

खौफनाक हवाओं से
बचाती नैतिकता की दीवार
कीमत उतनी नहीं
जितनी समझ रहे हो।

कहें दीपकबापू तिनके से
सहारा लेकर पार हुए
सवारों से पूछो
कमजोर की मदद
उतनी छोटी नहीं
जितनी समझ रहे हो।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Friday, April 1, 2016

जहां जीत वहीं हार-हिन्दी कविता (Jahan jeet vahin har-HindiKavia)

बड़े पैमाने की दुआऐं भी
उन्हें कामयाबी
नहीं दिला पाती।

मायावी संसार में
दीवानगी के रोग को
दवा नहीं हिला पाती।

कहें दीपकबापू दिल में
जहां जीत की खुशी बसे
वहां हार की खबर
वीभत्स रस पिला जाती।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Wednesday, March 16, 2016

चढ़ता सूरज ढल रहा है-हिन्दी कविता(chdhta suraj dhal raha hai-Hindi kavita)

वादों के व्यापार भी
खूब चल रहा है।

रेत की ज़मीन पर
हरियाली का सपना भी
खूब पल रहा है।

कहें दीपकबापू सच की राह में
अवरोध बनकर खड़ा रहे
चमकदार भ्रम का विचार
अज्ञान के अंधेरे में
चढ़ता सूरज भी ढल रहा है।
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Monday, March 7, 2016

असुर सहायक-हिन्दी कविता (AsurSahayak-HIndiPoem)

खलनायक एक
अपने कारनामों से
अनेक नायक बना देता है।

शोर का सौदागर एक
संगीत के सौदो में
अनेक गायक बना देता है।

कहें दीपकबापू सुख से
ऊबा इंसान
दिल बहलाने के लिये
असुर सहायक बना लेता है।
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Saturday, February 27, 2016

हरियाणा की घटनाऐं अत्यंत चिंता का विषय-हिन्दी लेख (Hariyana ki Ghatnaen chinta ka vishay-Hindi Article)

                हरियाणा में अब हिंसा थम गयी है। अब वहां हिंसक तत्वों की पहचान का दौर चल रहा है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में वर्ष 2016 में हरियाणा में हिंसा के नाम से पृष्ठ दर्ज हो गये हैं। न्यायालय व प्रशासन ने इस हिंसा में शामिल लोगों पर कड़ी कार्यवाही की बात कही है। हम यह अपेक्षा करते हैं कि उन पर कड़ी कार्यवाही की भी जायेगी पर इतिहास के दाग इससे मिटने वाले नहीं है। जब देश के प्रचार माध्यम जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय पर ध्यान केद्रित करने के प्रयास के बीच हरियाणा की हिंसा के समाचार दूसरी वरीयता से प्रसारित कर रहे थे तब हमें हैरानी हुई थी। हम सोच रहे थे कि हरियाणा के आमजन इतने सारे हिंसक तत्वों के बीच अपनी रक्षा कैसे कर रहे होंगे? इस हिंसा में लोगों को भारी धनहानि भी हुई है उन्हें अपने जीवन के अगला हिस्सा भारी संघर्ष से गुजारना पड़ेगा यह तय है। सच तो यह है कि इस दौरान हरियाणा से असुरकाल झेला है। जिनकी कोई हानि नहीं हुई उन्हें भगवान का धन्यवाद व्यक्त करना चाहिये।
                हम भी देख रहे हैं कि हरियाणा में हुई भारी हिंसा की जानकारी देने की बजाय प्रचार माध्यम मुरथल के उस सामूहिक बलात्कार कांड की बात ज्यादा कर रहे हैं जिसके प्रमाण इतने दिन के बाद भी लापता हैं। हमारा मानना है कि अगर ऐसा हुआ है तो वह अत्यंत निंदाजनक है पर प्रचार माध्यमों को पूरे हरियाणा में हुई तमाम हिंसक घटनाओं की जानकारी देना चाहिये।  उस भयानक दौर में महिलाओं से बदतमीजियां हुई होंगी-यह बात तय है पर प्रमाण के अभाव में एक ही घटना पर सनसनी फैलाने तक ही सीमित रहना चाहिये। कुछ टीवी चैनलों ने लूटपाट के दृश्य दिखायें हैं। ऐसा लगता है हरियाणा के पता नहीं कितने इलाकों में इतना भयानक वातावरण बन गया था? इस तरह की सामूहिक हिंसा जहां होती है वहां लंबे समय तक भय का वातावरण रहता है पर जहां नहीं होती वहां भी समाचारों से भय का वातावरण बन जाता है। यह भय का भाव पीढ़ियों तक चलता है। विभाजन के समय सिंध व पंजाब से पलायन लोगों की यहां पैदा हुई पीढ़ियों में ऐसी सामूहिक हिंसा का भय किसी कोने में दबा हुआ देखा जा सकता है जो उनके पूर्वज सौंप गये। ताज्जुब इस बात का है कि देश के कथित बुद्धिजीवी हरियाणा की हिंसा की बजाय जेएनयू के मुद्दे पर अधिक चर्चा कर रहे हैं।
                अनेक बुद्धिजीवी तो अभिव्यक्ति की आजादी व अपनी विचाराधाराओं को बचाने के लिये शाब्दिक द्वंद्व में लगे है जबकि इस समय सामूहिक हिंसा की प्रवृत्ति रोकने विषय होना चाहिये।  अभिव्यक्ति की आजादी एक नकली  तो विचाराधारायें एक कल्पित विषय है। अभिव्यक्ति की आजादी न हो तो भी अनेक देश बचे हैं। एक ही विचाराधारा पर चलने वाला चीन भी तरक्की कर रहा है पर सामूहिक हिंसा देश के लिये वास्तविक संकट होती हैं जिनसे देश बंटने या टूटने से अधिक मिटने के खतरे पैदा कर सकते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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Tuesday, February 16, 2016

पेशेवर अक्लमंद-हिन्दी कविता(Peshewar Aklamand-HindiKavita)


घर रौशन करने के लिये
कहीं से भी
चुरा लेंगे चिराग।

पानी पकड़ लेंगे
बुझाने भेजा गया हो
जो प्यासे गले की आग।

कहें दीपकबापू भरोसे से
नाता दिखा रहे हैं
पेशेवर अक्लमंद
जिनके इतिहास में
वफा के लगे काले दाग।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Saturday, January 23, 2016

जाये वहीं आदमी देखे जहां माल-दीपकबापू वाणी (jaye vahin aadmi dekhe jahan mal-DeepakBapuWani)

पहनावा अच्छा मुंह बंद सभी भद्र, जब बोलें शब्द निकले अभद्र।
‘दीपकबापू डटे संस्कार पर बहस में, कान काटें चले जीभ का वज्र।।
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असल से ज्यादा नकल जचे, अकलबंद पांव नशे  में नचे।
‘दीपकबापू’ तस्वीर में बने शेर, बकरी के शिकार से बचे।।
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फरिश्ते दिखेंगे सुबह से शाम, रात हाथ में होता उनके जाम।
‘दीपकबापू’ दोगले फन में माहिर, सभी मजे में होकर बदनाम।।
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जाये वहीं आदमी देखे जहां माल, पक्षी जैसी बुद्धि देखे न जाल।
दीपकबापू धन की चाहत में फंसे, भूख से डराये खाने का थाल।।
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सौदागर रुपहले पर्दे सजाते, प्रायोजित जाल में दर्शक फसाते।
‘दीपकबापू’ बेजार बाज़ार में, अपने ख्वाब भूल कर लोग आते।।
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जिनके पद कभी धरा पर नहीं पड़ते, आकाश की सोच लेकर लड़ते।
दीपकबापू धोखे से हो गये सफल, अक्ल में अकड़ का ताला जड़ते।।
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राजपथ पर विचरने का विचार, इंसानी दिल को बहुत लुभाता।
पांव फटे माथे पर बहे  पसीना, ‘दीपकबापू’ इरादों को चुभाता।।
..................................
चलते चलते थका देता काजपथ, दिल में नहीं आता कभी राजपथ।
‘दीपकबापू डरें बेलगाम चौपायों से, लोहागाड़ी हो या लकड़ी का रथ।।
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लोहे के सामान की दिखाते तस्वीर, प्रचारित करें इंसान की तकदीर।
दीपकबापू योग से दूर भोग के पास, नृत्य कर रहे कागज के वीर।।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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Tuesday, January 5, 2016

ज्ञानी वही बन जाते हैं-हिन्दी कविता(Gyani vahi ban jate hain-Hindi Kavita)

कभी दर्द जिनको हुआ नहीं
जहान में हमदर्द
वही बन जाते हैं।

जंग कभी लड़ी नहीं
तलवार खरीदकर
वही वीर बन जाते हैं।

कहें दीपकबापू वाणी से
पराक्रमी शब्द बघारते
अज्ञानियों की भीड़ में
ज्ञानी वही बन जाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
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