समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, April 27, 2015

इमारते और कवियों के शब्द-हिन्दी कविता(iamrten aur kaviyon ke shabda-hindi poem)


सीमेंट और ईंटों से बनी
इमारते कभी धरती के कोप से
ढह जाती हैं।

इससे तो बेहतर होती
कवियों की शब्द रचनायें
अमरत्व की धारा में
बह आती हैं।

कहें दीपक बापू जिस्म से
मांस या पत्थर के बुत
कभी हमेशा एक जैसे नहीं रहते,
रूप बदलते हुए
पतन के हमले सहते,
किसी के गिरने पर
रोना बेकार है
ज्ञान की अमर कहानियां
यही कह जाती हैं।
-----------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर   

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

Monday, April 20, 2015

इंसान मस्तिष्क घड़ा है-हिन्दी कविता(insanin mastishk ghada hai-hindi kavita)


बूंद बूंद से घड़ा
भरता है
ऐसा कहा जाता है।

छेद हो तो बूंद बूंद
घड़ा खाली भी होता
ऐसा नहीं कहा जाता है।

कहें दीपक बापू इंसानी मस्तिष्क भी घड़ा है
ज्ञान की बूंद बूंद से
भरता है
अहंकार के छेद से होता खाली
यह हमारा विचार है
ऐसा कहा नहीं जाता है।
---------------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर   

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

Monday, April 6, 2015

सावधान होकर सड़क पर चलना-हिन्दी कविता(sawdhan hokar sadak par chalana-hindi poem)


सावधान होकर सड़क पर चलना, शैतान भी विचरते हैं।
दौलतमंदों से बचकर रहना, जल्दी दिमाग से बिफरते हैं।

ढेर सारे दो पांव वाले पशु भी सड़क पर नज़र आयेंगे,
हादसे पर अकेले होगे, दर्शक मनोरंजन में ही सिहरते हैं।

इंसानों की भीड़ का शोर चारों तरफ नज़र आयेगा
कत्ल होती मानवता, सभी की जुबां में दांत बिखरते हैं

कहें दीपक बापू कातिल आज शेर समझे जाते हैं
 इंसानो को भेड़ बनाकर हांकते कायदे से निखरते हैं।
------------------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर   

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

Thursday, April 2, 2015

अपनी रुंआसी तस्वीर बनाते-हिन्दी कविता(apni ruansi tasveer banate-hindi poem)


बहुत धन पाने का
सपना दिल में होता
टूटे जाने पर
जरूर आंसु बहाते।
राजपद की लालसा
दिमाग में होती
बिखर जाने पर
जरूर अपना दर्द बताते।

कहें दीपक बापू कलम का धनुष
शब्दों के तीर के साथ
हाथ में थामा था
जिंदगी की जंग जीतने के लिये
जारी है अभी तक
हार जाते तो
अपनी रुंआसी तस्वीर
स्वयं के हाथ से जरूर बनाते।
-----------------------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर   

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकायें

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर