पर्दे पर तस्वीर
देखकर बहक जाते हैं।
शोरगुल के स्वर सुनकर
कान चहक जाते हैं।
कहें दीपकबापू स्वाद में
फंसे ज़माने के लोग
व्याधि के भोजन से
पेट में कांटे महक जाते हैं।
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