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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, February 23, 2015

इंसानों के समंदर में-हिन्दी कविता(insanon ke samandar mein-hindi poem)



जिंदगी की राह
सहजता से चलें
साथी ऐसे कहां मिलते हैं।

मजबूत इरादे जताते
पर मुश्किल से घबड़ाते
टूटे मनोबल को उठायें
साथी ऐसे कहां मिलते हैं।

तन बेकार
मन बेजार
ख्यालों के टूटे तार
इंसानों के समंदर में
सियार ज्यादा दिखते
मतलबपरस्ती से दूर होकर
वफा की हद तक आयें
साथी ऐसे कहां मिलते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

Wednesday, February 11, 2015

इज्जत के साथ जीना-हिन्दी कविता(izzat ke sath jeena-hindi kavita)



मुफ्त में कोई चीज
मिलती नहीं है
फिर भी चाहत सभी की होती है।

आंखें बिछाते लोग
कोई टपका दे अपनी
दरियादिली उनके हाथ में
आस होती कभी पूरी
कभी नहीं भी होती है।

कहें दीपक बापू अपना हाथ जगन्नाथ
यूं ही नहीं कह गये पुराने लोग
कामयाबी मिलती
जिन्दगी में उन्हीं लोगों को
इज्जत से जीने की
तमन्ना जिनके अंदर होती है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
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Tuesday, February 3, 2015

फिर भी चैन नहीं मिला-हिन्दी कविता(fir bhi cnain nahin mila hindi poem)



मिला जो भी सामान
जिंदगी के बाज़ार में
-हम यूं ही बांटते रहे।

फिर भी नहीं मिला
चैन कभी
बस यूं ही चौराहों पर
दुकानों में छांटते रहे।

कहें दीपक बापू मांगने पर
कभी आराम भी मिला है,
भले का काम करने पर
भी लोगों का हमसे शिकवा गिला है,
हर काम के अंजाम पर
बस यूं ही स्वयं को डांटते रहे।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
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