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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, January 21, 2008

शेर ही चल सकते हैं आगे-कविता साहित्य

भीड़ में सबको भेड़ की तरह
हांकने कि कोशिश में हैं सब
चलते जाते हैं आगे ही आगे
सीना तानकर अपना चलते
पर कोई शेर आ जाये सामने
तो कायरता का भाव उनमें जागे

भेड़ों की तरह भीड़ में चलते
अब में थक गया हूँ
सोचता हूँ कि अब बची जिन्दगी
शेरों की तरह लड़ते हुए गुजारूं
कर देते हैं वह शिकार होने के लिए भेड़ों को आगे
सियारों का ही खेल चल रहा है सब जगह
जो कभी सामने नहीं आते
भेडो को शिकार के लिए सामने लाते
खुद चढ़ जाते अट्टालिकाओं भागे-भागे

मन नहीं चाहता किसी को
अपने पंजों से आहत करूं
पर फिर सोचता हूँ कि
मैं किसी की भेड़ भी क्यों बनूँ
चल पडा हूँ
जिन्दगी की उस दौर में
जहाँ शेर ही चल सकते हैं आगे
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Tuesday, January 15, 2008

विदुर नीति:झूठा निर्णय देने वाला कष्ट उठाता है

१.पशु के लिए झूठ बोलने वाले से पांच पीढियों को, गौ के लिए झूठ बोलने पर दस पीढियों को, घोडे के लिए असते भाषण करने पर सौ पीढियों को और मनुष्य के लिए झूठ बोलने पर एक हजार पीढियों को नरक में धकेलता है।
२.सोने के लिए झूठ बोलने वाला भूत और भविष्य की सभी पीढियों को नरक में गिराता है. पृथ्वी तथा स्त्री के लिए झूठ कहने वाला तो अपना सर्वनाश कर लेता है इसलिए तुम भूमि या स्त्री के लिए कभी झूठ न बोलना।
३.जो झूठा निर्णय देता है वह राजा नगर में कैद होकर बाहरी दरवाजे का कष्ट उठाता हुआ बहुत से शत्रुओं को देखता।
४.हस्तरेखा देखने वाला, चोरी करके व्यापार करने वाला, जुआरी वैद्य शत्रु, मित्र और नर्तक-इन सातों को कभी भी गवाह न बनाएं।

Friday, January 11, 2008

चजई- ब्लोगर नंबर वन का रास्ता

लिखने में जो मजा है
वह इनाम में कहाँ आता है
जिनकी होती है इनाम पर नजर
उनको लिखना भी नहीं आता
कुछ लोगों के लिए भाषा कभी
मन के भाव की नहीं होती
यह एक व्यापार का जरिया बन जाता है

करते हैं बहुत सारे ढोंग
भाषा को समृद्ध करने का
पर उनका शब्द ज्ञान
पुरस्कारों के सौदे तक ही सिमट जाता है
कहीं से तस्वीर उठाते
कहीं से शब्द चुराते
और अपने ग्रंथालय सजाते
बनते हैं शब्दों के व्यापारी जब निर्णायक
अपनों-अपनों की शक्ल देख पाते
भला अक्ल से कहाँ नाता जोड़ पाते
चेहरे पर होती है मुस्कराहट
मन में स्वार्थ छा जाता है

अख़बार और पत्रिकाओं में तो देखा था
अब अंतर्जाल पर भी
उनकी माया का विस्तार नजर आता है
नाम के लिए बनाते वेब साईटें
कटिंग उठाकर चिपकाते
अपनी मौलिकता सब जगह जताते
सर्वोतम से होते कोसों दूर
पर खिताबों के लिए भीड़ में जुट जाते
जिस भाषा की सेवा करने का करते दावा
उससे उनका कोई रिश्ता नजर नहीं आता है

कहैं दीपक बापू
कलम कोई हमने इनाम पाने के लिए
कभी नहीं उठाई हैं
पर कभी नहीं भायी धोखाधड़ी
इसलिए हास्य कविता से जोड़ दी दिल की लड़ी
कभी पढा नहीं इसलिए ऐसा कर गए
हमारे लिए विषय का जुगाड़ कर गए
उनको निभाना है इनामों से रिश्ता
हमें हास्य कविता से नाता जोड़ना आता है
नही चाहते कभी शिखर
पर ख़ुद ही हमारे सामने खडा हो जाता है
किसी को नंबर वन से हटाना नहीं चाहते
क्योंकि लोगों के दिल से ही रास्ता
ब्लोगर नंबर वन को ले जाता है
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नोट यह एक काल्पनिक हास्य रचना है और इसका किसी घटना या व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं है और अगर किसी की कारिस्तानी से मेल खा जाए तो वही जिम्मेदार होगा.

Thursday, January 10, 2008

रहीम के दोहे:ओछा व्यक्ति बड़ा पद पाकर इतराता है

जो बड़ेन को लघु कहैं नहिं रहीम घटि जाहिं
गिरधर मुरलीधर कहै, कछु दुख मानत नाहिं


कविवर रहीम कहते हैं कि जो बडे लोगों को तुच्छ कहते हैं वह कथन मात्र से छोटे हो जाते। गोवर्धन पर्वत धारी श्री कृष्ण को मुरली पकड़ने वाला कहने से कुछ दुख नहीं होता।
भावार्थ- यदि किसी में कोई योग्यता और शक्ति है तो उसको समाज में बहुत सम्मान मिलता है पर अगर कुछ निम्न कोटि के लोग उसकी आलोचना करते हैं तो उसको कोई नहीं सुनता क्योंकि जिसमें शक्ति है उसकी सभी पूजा करते हैं और वह इन बातों की परवाह नहीं करते कि कोई उनके बारे में क्या कह रहा है।

जो रहीम ओछो बढे तौ अति ही इतराय
प्यादे सौं फर्जी भयो, टेढो टेढो जाय


कविवर रहीम कहते हैं कि छोटे व्यक्ति बड़ा पद पाने के बाद अहंकारी हो जाते हैं-जैसे शतरंज के खेल में पैदल चलाने वाला यदि वजीर बन जाये तो वक्र गति से चलने लगते हैं।

भावार्थ-कुछ बहुत ओछी मनोवृति के लोग होते हैं जिनको थोडी योग्यता, संपति या सम्मान मिलता है वह फूल जाते हैं और अपने मुहँ से अपनी बधाई करते हैं और ऐसे दिखावा करते हैं जैसे कि बहुत बडे व्यक्ति हो गए हैं। ऐसे लोगों कि परवाह नहीं करना चाहिऐ.

जो रहीम ओछो बढे तौ अति ही इतराय
प्यादे सौं फर्जी भयो, टेढो टेढो जाय

कविवर रहीम कहते हैं कि छोटे व्यक्ति बड़ा पद पाने के बाद अहंकारी हो जाते हैं-जैसे शतरंज के खेल में पैदल चलाने वाला यदि वजीर बन जाये तो वक्र गति से चलने लगते हैं।

भावार्थ-कुछ बहुत ओछी मनोवृति के लोग होते हैं जिनको थोडी योग्यता, संपति या सम्मान मिलता है वह फूल जाते हैं और अपने मुहँ से अपनी बधाई करते हैं और ऐसे दिखावा करते हैं जैसे कि बहुत बडे व्यक्ति हो गए हैं। ऐसे लोगों कि परवाह नहीं करना चाहिऐ

Wednesday, January 9, 2008

विदुर नीति:वही पंडित कहलाता है.........

  • अपने वास्तविक स्वरूप का ज्ञान , उद्योग, दु:ख सहने की शक्ति और धर्म में स्थिरता- ये गुण जिस मनुष्य को पुरुषार्थ से च्युत नहीं करते वही पंडित कहलाता है।
  • जो अच्छे कर्मों का सावन करता और बुरे कर्मों से दूर रहता है साथ ही जो आस्तिक और श्रद्धालु है, उसके ये सद्गुण पंडित होने के लक्षण है।
  • क्रोध, हर्ष, गर्व, लज्जा, उद्दंडता तथा अपनी पूज्य होने की अनुभूति ये भाव जिसको पुरुषार्थ से भ्रष्ट नहीं करते, वही पंडित कहलाता है।
  • दूसरे जिसके कर्तव्य, सलाह और पहले से किये हुए विचार को नहीं जानते, बल्कि काम पूरा होने पर ही जानते हैं वही पंडित कहलाता है।
  • सर्दी-गर्मी, भय-अनुराग, संपति अथवा दरिद्रता ये जिसके कार्य में विघ्न नहीं डालते वही पंडित कहलाता है।
  • जिसकी लौकिक बुद्धि धर्म और अर्थ का अनुसरण करती है और जो भोग को छोड़कर पुरुषार्थ का ही वरण करता है वही पंडित कहलाता है।

Tuesday, January 8, 2008

रहीम के दोहे:राजा के सामीप्य से मान में कमी

आदर घटे नरेस ढिंग, बसे रहे कछु नाहिं
जो रहीम कोटिन मिले, धिग जीवन जग माहिं


कविवर रहीम कहते हैं कि राजा के समीप सदा निवास करने से सम्मान में कमी आती है और कुछ भी प्राप्त नहीएँ होता। यदि व्यक्ति भीड़ में शामिल हो जाता है तो उसकी अपनी कोई पहचान नहीं रहती। ऐसे जीवन को धिक्कार है।


आप न काहूँ काम कि, डार पात फल फूल
औरन को रोकत फिरै, रहिमन पेड़ बबूल


कविवर रहीम कहते हैं कि जैसे बबूल के पेड़ की शाखा, पत्ते पेड़, फल और फूल किसी काम के नहीं होते और अन्य पेड़ों के विकास को भी रोक लेते हैं, उसी प्रकार अनेक व्यक्ति व्यर्थ जन्म लेकर दुसरे व्यक्तियों के जीवन में भी बाधक बन जाते हैं।

Monday, January 7, 2008

संत कबीर वाणी:डींग तो कायर हांका करते हैं

कायर तबही परषिये लड़े घणी के हेत
पुरिजा-पुरिजा ह्नै पडै, तऊ न छाँडै खेत


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि बड़ी डींगें कायर ही हांका करते हैं, शूरवीर कभी बहकते नहीं। यह तो समय पर संकट आने पर ही जाना जा सकता है कि शूरवीर अपने आपको कौन प्रकट होता है।

मांगन मरण समान है, तोहि दई मैं सीख
कहैं कबीर समझे के मति कोई मांगे भीख


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि किसी से मांगना मरने के समान है, संत कबीर समझाते हुए कहते हैं कि मैं तुम्हें शिक्षा देता हूँ कि कभी किसी से भिक्षा मत मांगो।

Saturday, January 5, 2008

ब्लोग पर कमेन्ट लगाओ, पोस्ट हथियाओ

मैंने कुछ ब्लोगरों की पोस्टें मैंने पढी हैं जिसमें वह अन्य ब्लोगरों से दूसरे के ब्लोग पर कमेंट लगाकर उसका हौसला आफजाई की अपीलें करते हैं। मेरी उनसे मित्रता है इसलिए मुस्कराकर रह जाता हूँ पर यह पोस्ट मैं उनके इस आग्रह के समर्थन में नही लिख रहा हूँ बल्कि आपको यह बताने के लिए लिए लिख रहा हूँ कि दूसरों के ब्लोग पर कमेन्ट लगाकर कैसे उसकी पोस्ट हथियाई जाती हैं।

दरासल आपने देखा होगा कि किसी पोस्ट पर उसके लेखक का नाम इस तरह ब्लोग पर प्रिंट होता है कि लगता है कि पर उसकी शोभा का एक हिस्सा है। अधिकतर ब्लोग जो हम फोरमों पर देखते हैं और पता चल जाता है कि यह अमुक व्यक्ति का ब्लोग है पर अन्दर हम उसके नाम के वैसी शोभा नहीं देखते जितना उसके विषय को पढ़ते हैं। अगर आम पाठक की बात की जाये तो वह विषय ही पढता है और उसकी बहुत कम उसकी रूचि लेखक के नाम के बारे में रह जाती है। यह बात मेरे पहले ही दिन समझ में आ गयी थी इसलिए मैंने अपना नाम ऊपर ही रखा। हालांकि मुझे यह देखकर हंसी भी आती है पर अब जैसा चल रहा है चलने दो। एक खास बात जो मुझे लगी वह यह कि मेरे जो निजी मित्र हैं वह मेरे ब्लोग पर कमेन्ट देने वाले मित्रों के नाम अच्छी तरह जानते हैं। इसके अलावा मेरे ब्लोग पर जिनके ब्लोग लिंक हैं उनके बारे में भी पूछते हैं। मेरे एक मित्र का मानना है कि कमेन्ट देने वाले लोगों का नाम तो इसलिए याद रहते हैं क्योंकि वह पोस्ट का हिस्सा हो जातीं हैं और चूंकि
उनके नाम वहाँ चमकते हैं इसलिए पढाई में आते हैं लेखक का नाम तो कहीं दुबक जाता है।

मेरे एक मित्र ने मेरे ब्लोग पर लिंक कुछ ब्लोग खोले थे उसमें सभी ब्लोग पर हमारे एक प्रसिद्ध ब्लोगर के कमेन्ट थे और कुछ पर मेरे नहीं थे। वह उसका नाम आजकल न देखकर मुझसे पूछता है-''क्या वह आजकल सक्रिय नहीं है, क्या तुम्हारा उससे झगडा हो गया है। तुम भी यार दूसरों के ब्लोग पर कमेन्ट लगाया करो, उससे तुम्हारा ही नाम होगा।''
एक मित्र ने कहा-''कमेन्ट का मतलब है दूसरे की पोस्ट हथियाना, तुम भी यही करो क्योंकि तुम्हारा ऊपर नाम तो ऐसा लगता है कि ब्लोग का नाम है, तुम्हारी उससे कोई पहचान नहीं मिलती।''

हम लोग जब कमेन्ट देते हैं तो वहाँ हमारे नाम के साथ ब्लोग भी चिपक जाते हैं। यानी कि हो सकता है पाठक आपके नाम पर क्लिक कर आपका ब्लोग भी देख ले और नहीं तो आपको थोडी मेहनत में नाम भी तो मिल जायेगा। वैसे आजकल मैं थोडा रिलीफ अनुभव करता हूँ कि मेरी पोस्ट पर अधिक कब्जे नहीं होते। मैं इतनी मेहनत से लिखता हूँ और मेरे मित्र दूसरे ब्लोगरों की चर्चा की करें यह भला कौन सहन कर सकता है? मेरे मित्र मेरे ब्लोग पर रखी कमेंटों से भी इधर-उधर घुस जाते हैं और पढ़कर कहते हैं-यार, उसने बहुत अच्छा लिखा था।
''फिर कमेन्ट क्यों नहीं लगाई?'' मैं पूछता हूँ। मैंने उनको कमेन्ट लगाना के साथ हिन्दी टूल भी बता दिया है।
''हम ब्लोग बनाते तो कमेन्ट जरूर लगाते?'' वह कहते हैं। यही आकर वह खामोश हो जाते हैं।

जिन्हें प्रसिद्ध और नंबर वन ब्लोगर बनने की इच्छा हो वह आज से कमेन्ट लगाना शुरू कर दें। अगर उन्हें लगता है कि इसमें मुझे हिट होने की चाहत है तो मेरे ब्लोग को अनदेखा कर सकते हैं-दूसरे के ब्लोगों पर जाकर यह काम करें। शायद कुछ लोगों को मजाक लगे पर अगर आप जिन ब्लोगरों को प्रसिद्ध हुआ देख रहे हैं वह अपनी लिखी पोस्टों के साथ इन कमेंटों के कारण भी हैं। हमने अपने अहं के कारण नहीं किया तो आजतक फ्लॉप हैं। आपने किसी अखबार में हमारा नाम ब्लोगर के रूप में नहीं पढा होगा।
मैंने कुछ ऐसे ब्लोगर भी देखे जो गजब का लिखते हैं पर मुझे ताज्जुब हुआ कि उनका नाम चर्चा में नहीं आता क्योंकि अपने आप में मस्त रहने के कारण वह कहीं अधिक कमेन्ट नहीं लगाते. उन्हें मैं भी तब पढ़ पाया जब उनका ब्लोग फोरमों पर मेरे सामने आ गया. तब मुझे यह लगा कि वाकई कमेन्ट लगाना भी मशहूर कराने में सहायक हो सकता है.

Friday, January 4, 2008

भारतीय खिलाडियों ने आस्ट्रेलिया की शिकायत क्यों नहीं की?

आखिर एंड्रू साईमंस ने हरभजन के खिलाफ शिकायत कर दी। अब कल उनके खिलाफ सुनवाई होगी। इस मामले में मुझे यह तर्क नहीं जमता की ऐसा तो आस्ट्रेलिया के खिलाड़ी भी करते हैं, क्योंकि फिर भारत के खिलाडियों ने कभी उनके खिलाफ शिकायत क्योंकि नहीं की?
एंड्रू साईमंस ने कई बार भारतीय खिलाडियों से बदतमीजी की है और वह उसे झेल जाते हैं। असल में उन्हें अपने अपमान से अधिक अपने पैसे कमाने की पडी रहती हैं। अक्सर भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी विदेशी खिलाडियों के खिलाफ सार्वजनिक रूप से शिकायत तो करते हैं पर आधिकारिक रूप से शिकायत करने की बात आती है तो सब नाक भौं सिकोड़ लेते हैं-''क्रिकेट तो सभ्य लोगों का खेल है और इसमें यह सब चलता है।''
यही कारण है की इस दोनों देशों के खिलाडी ही प्रतिबंधों का शिकार होते हैं और कहते हैं कि इंग्लेंड और आस्ट्रेलिया के खिलाडियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होती। सच तो यह बात है कि आज तक इन देशों के खिलाडियों के खिलाफ कभी शिकायत नहीं हुई। अगर अंपायर स्टीव बकनर इन देशों के पक्ष में गलती करता है तो शिकार होने वाले एशियाई देश कभी उसके खिलाफ शिकायत नहीं करते। अगर वह ऐसी गलतियां इन देशों के खिलाफ करता तो अभी तक उसे रास्ता नापना पड़ता। बाहर आकर प्रेस में शिकायत करने से कोई मतलब नहीं है जब तक कोई आधिकारिक शिकायत नहीं की जाती।
अब इससे तो यही स्पष्ट होता है की एशियाई देशों के खिलाड़ी अपने तथाकथित अपमान को कुछ न गिनते हुए केवल उसे अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करते हैं या इसमें सभी देशों के खिलाड़ी इसलिए शामिल हैं ताकि लोगों का खेल से इतर ध्यान लगाकर मनोरंजन कराया जाये, और एशिया के देश भी सोचते हैं की चलो अपने किसी खिलाड़ी को प्रतिबन्ध का सामना करना पडा तो उसकी जगह नया खिलाड़ी शामिल कर लें वैसे तो बाजार के दबाव में उनको शामिल नहीं कर पाते। इससे तो एक चीज और जाहिर होती है की क्रिकेट खेलने की जरूरत भारत को अधिक है क्योंकि यहाँ के बाजार को उससे बने बनाए माडल मिल जाते हैं और आस्ट्रेलिया वाले तो बिचारे इसका बोझ ढो रहे हैं। उनको कोई फायदा नहीं है अगर उनकी शिकायत कर अगर किसी खिलाडी को प्रतिबन्ध के दायरे में लाया गया तो हो सकता है कि वह क्रिकेट खेला छोड़ दें और तब तो क्रिकेट का भत्ता बैठ जायेगा ऐसे में हानि तो भारत में इस खेल से आर्थिक लाभ उठाने वालों को ही होगी। क्या इसलिए ही भारतीय खिलाड़ी अपने आत्मसम्मान को अनदेखा कर देते हैं। अगर नहीं तो आज तक आस्ट्रेलिया के खिलाडियों के खिलाफ शिकायत क्यों नहीं की?

Thursday, January 3, 2008

नरकपति ने पूछा ' यह ब्लोगर कौन जीव है'

नरक में मची थी उथल-पुथल
सब कर्मचारी थे परेशान
बढ़ता जा रहा था दिन-ब-दिन काम
धरती पर बढते पापों की वजह से
बहुत अधिक लोग भोगने आ रहे थे
अपने बुरे कर्मों का फ़ल

आखिर सबने की नरकपति से गुहार
''अब जगह बहुत कम
धरती पर पुण्य नाम को नहीं बचा
कौन अब स्वर्ग जाता है
पूरा पडा खाली
इसलिए वहां अपने लिये जगह बनवाओ
खाली करा लो एक दो तल
या फ़िर ब्लोग की तरह पापों की कुछ
श्रेणियां बना दो
और उनको पुण्य की श्रेणियों में रख दो
ताकि कुछ भले लोग स्वर्ग में जाकर भोगें फ़ल'

नरकपति ने बैठक की आहूत
जिसमें पहुंचे धरती से भी
नरक में जगह न मिलने की
वजह से बेदखल भूत
नरकपति ने कहा
''पहले तो यह बताओ
ब्लोगर कौनसा जीव है
जिसका पहले कभी नाम सुना नहीं है
नरक्-और स्वर्ग की लिस्ट मुझे जबानी याद है
उसमें इसका नाम नहीं है
उसका कर्म पाप है या पुण्य
कहीं दंडसंहिता में उसका विधान नहीं है''

धरती से आये एक भूत ने कहा
''महाराज मैं कई ब्लोगरों को जानता हूं
दिन भर उनके ब्लोग पर विचरण करने जाता हूं
कभी गुस्से में तो कभी प्रेम से
पोस्ट लिखते हैं
कभी प्रेम से कमेन्ट भी रखते हैं
पाप और पुण्य में तो तब लिखोगे
जब उनमें कामना होती
वह तो निष्काम कर्म किये जा रहे हैं
किसी को नहीं मिल रहा कोई फ़ल
पर श्रेणियां बना लेते हैं
मैं पता करता हूं क्या
कोई वह कोई पाप-पुण्य की
श्रेणियां बनाने मे भी रहें है क्या सफ़ल'

नरकपति ने कहा
''ठीक है पता कर आओ
पाप की श्रेणियों का
फ़िर से तय करो मापदंड
कुछ लोग स्वर्ग में जायें
और कुछ लोग भोगें यहाँ दंड का फ़ल
जैसा तुमने सुनाया उससे तो
अगर ब्लोगर निष्काम कर्म करते हैं तो
स्वर्ग में हीं जाकर भोगेंगे फ़ल '

वह भूत चला गया तो
दूसरा भूत बोला
'आप किस चक्कर में पड गये महाराज
वह एक ब्लोगर था
मैं आधी रात को उसके ब्लोग पर
विचरण कर रहा था
और वह सोते हुए भी वहां
अपनी देह छोड़ यह देखने आ गया
कि कोई कमेन्ट तो नहीं लगा गया
इतने में आयी आपकी पुकार
मैं निकला तो इसकी रूह भी लिंक हो गयी
अब तो यह अपना काम कर गया
आपने तो उसकी श्रेणी को स्वर्ग की बना दिया
यह अब वहीं जायेगा
आप का कहा तो ब्लोग पर
लगाई कमेन्ट की तरह है
जिसे वापस आप भी नहीं ले सकते
और यह डीलीट करेगा नही
बिना पाप श्रेणी का कर्म किये
यहां का हाल देख्ने में रहा सफ़ल
अब लिखेगा पोस्ट
हमें बना देगा भूत से घोस्ट
इसका ब्लोग हिट होकर चल देगा कल

नरकपति ने हैरान होकर पूछा
''पहले क्यों नहीं बताया
तुम्हारी वजह से ही
हमें चलाने में वह रहा सफ़ल'

भूत ने कहा
''आपकी मार्गदर्शिका में
सबसे निपटने की तरीके हैं
पर इस नये जीव ब्लोगर के बारे में
कुछ नहीं कहा
हम तो उतना ही चलें
जितनी भरी चाबी अपने
सब जीव तो धरती पर पैदा होते हैं
पर लगता है यह अन्तरिक्ष से उतरा है
आप इसके लिए कोई प्रोविजन करो
वरना इतने सारे ब्लोगर होते जा रहें है
धरती पर
कि स्वर्ग का भी भर जायेगा हर तल'
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Wednesday, January 2, 2008

मोबाइल पर बात, मोबाइल की बात

मैं और मेरा मित्र दोनों उस चाय की दुकान पर बैठकर चाय पी रहे थे, और हमारे पीछे पांच लोग बैठकर आपस में बातें कर रहे थे

''सुन यह आईपोट जो है बहुत काम का है, इससे फोटो ली जा सकती है, और फिर कंप्यूटर में उसे लोड किया जा सकता है।'' एक बोला।

दूसरा बोला-''देखा जाये तो मोबाइल तो सस्ता रखना चाहिए इसे खरीद लिया जाये, यह तो काफी उपयोग की चीज है।''

फिर शुरू हुआ उनके बीच मोबाइल और उनकी कंपनियों की बातचीत का दौर। 'अमुक कंपनी की स्कीम सही है', अमुक कंपनी से यह फायदा है और यह नहीं है'।
मैं और मेरा मित्र वहाँ आधे घंटे बैठे रहे और उनकी बात सुनते रहे। इस दौरान वह लड़के अपनी मोबाइल पर कभी बात करते और कभी उसे ऐसे ही दबाकर एक दूसरे को दिखाते। चाय पीने के बाद हम दोनों उठकर चाय वाले को पैसे देकर उनके पास से गुजरे तो उनमे से एक मेरी हाथ की तरफ बंधी घड़ी की तरफ इशारा करते बोला-''आपकी घड़ी में समय कितना हुआ है?''
मैंने अपनी घड़ी में देखने की बजाय जेब से मोबाइल निकाला और उसे देखकर कहा-''एक बजकर पैंतालीस मिनट'।
दूसरा बोला-''क्या आपकी घड़ी बंद है जो मोबाइल पर देखकर बताया।''
मैंने कहा-''जब से मोबाइल लिया है तब से घड़ी में समय देखने की आदत तो चली गयी है पर हाथ में घड़ी पहनने की आदत नहीं गयी है। ''
हम दोनों वहा से निकल गए तो पीछे से एक को कहते सुना-''यार, हम भी तो अपनी मोबाइल पर समय देख सकते थे।''

थोडा दूर चलकर मेरा मित्र बोला-''यार, उनको घड़ी देखकर ही समय बता दिया होता, जेब से मोबाइल निकालकर समय बताने की क्या जरूरत थी।''

मैंने कहा-''उनको यह बताने के लिए की इस दुनिया में वही अकेले मूर्ख नहीं है बल्कि और भी हैं। पिछले आधे घंटे से मोबाइल के विषय पर बात तो ऐसे कर रहे थे जैसे कि उन्हें सारी अक्ल है।''
इस देश में हर आदमी को एक न एक विषय चाहिए बात करने के लिए। पहले फिल्म पर बातचीत होती थी फिर टीवी एक विषय हो गया। अब जिसके पास बैठो वही मोबाइल लिए बैठा उस बात कर रहा है या हाथ में पकडे उसकी उपयोगिता बता रहा है। मतलब के सुविधा के लिए बनी चीज जिन्दगी बना लेते हैं।मोबाइल मेरे पास भी है पर वह मैंने अपने कुछ मित्रों के दबाव में लिया था पर उसका अनावश्यक उपयोग करना या दिखावा करना मुझे पसंद नहीं। जब मैं उन लड़कों की बात सुन रहा था तो लग रहा था कि मोबाइल कंपनियों के लिए मुफ्त में माडलिंग कर रहे हैं। इसलिए उन्हें इस तरह जवाब देने में मुझे मजा भी आया।

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