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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, May 31, 2016

प्यार की भाषा-हिन्दी कविता (Pyar ki Bhasha-Hindi Kavita)

सम्मान के शब्द से
अयोग्य लोग
फूल जाते हैं।

प्यार की भाषा
समझते नहीं कभी
मद में झूल जाते हैं।

कहें दीपकबापू समझ से
संबंध नहीं रहा ज़माने का
एक पल देखते सामने
अगले पल भूल जाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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Saturday, May 14, 2016

अनमोल रत्न-हिन्दी कविता (Anmol Ratna-Hindi Poem)

सभी भव्य इमारतें
आम इंसान का 
निवास नहीं होती।

रसीले गुरुओं के आश्रम
कुशल चिकित्सकों की दुकान
भव्यता में कम नहीं होती।

कहें दीपकबापू अनमोल रत्न
प्यास नहीं बुझा पाते
फिर भी इंसान में
अमीर बनने की इच्छा
कभी कम नहीं होती।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
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Sunday, May 1, 2016

सार्वभौमिक सत्य-हिन्दी कविता (Uniqe True-HindiPoem On May Day or Mazdoor Diwas)

शरीर से पसीना
निकलने के भय से
कुछ लोग घबड़ाते हैं।

पंचसितारा अस्पतालों के
चिकित्सक उनके लिये
महंगे बिस्तर सजाते हैं।

कहें दीपकबापू श्रमवीरों से
सजता संसार
यह सार्वभौमिक सत्य
मजदूर दिवस पर ही
नारे की तरह बजाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
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