दिल का फासला
जब ज्यादा हो
घर दूर नज़र आता है।
प्रेम का मोल न हो
विश्वास का रिश्ता भी
बहुत दूर नज़र आता है।
कहें दीपकबापू अपनों में
मनोबाल बढाना आता नहीं
टकटकी लगाये बैठे
भरोसा निभाने की
जबकि विश्वास का धरा पर
उतरना दूर नज़र आता है।
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