समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, June 19, 2018

शराबियों का भी बहुत नाम होता है-दीपकबापूवाणी (sharabiyon ka Bhi bahut nam nai-DeepakBapuwani)

अच्छी सोच के लिये अच्छा देखना है जरूरी, चलों जहां श्रृंगार से सजी सभा पूरी।
‘दीपकबापू’ बोतल का जिन्न बना न साथी, मयखानों में इलाज की आस रही अधूरी।।
--
दिल चाहे औकात से ज्यादा पाने की, दिमाग सोचे ताकत से ज्यादा जाने की।
‘दीपकबापू’ भटक रहे अपनी ख्वाहिशें, खरीददारी जेब में रखे ज्यादा आने की।।
----
शराबियों का भी बहुत नाम होता है, उनकी आसक्ति में भक्ति का काम होता है।
‘दीपकबापू’ हर कतरे पर नाम लिखा, शराब से मिला जल ग्लास में जाम होता है।।
---
बिछड़े इंसान याद में रहें कई बरस, गुजरे पल फिर मिलने की सोच में रहे तरस।
‘दीपकबापू’ गुरुओं की शरण ने भुलाया नाम, अच्छा हो राम जपें दिल हो सरस।।
---
जंग के लिये अपना सीना फुलायें हैं, कब होगी तारीख सबके सामने भुलाये हैं।
दीपकबापू शस्त्र विक्रताअें से निभाते दोस्ती, जनमानस को देशभक्ति में सुलायें हैं।।
---

मुंह से दहाड़ कर बन रहे हैं शेर, कर्म के नाम पर लगा रहे शून्य के ढेर।
‘दीपकबापू’ पेड़ के नीचे करें शयनासन, पेट भरे तभी जब हवायें गिरातीं बेर।।
--

No comments:

लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकायें

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर