दिल का खुश होना नहीं होता
कई लोग खिलखिलाते हैं
दूसरों को हँसाने के लिए
ताकि उनके पेट की भूख मिट जाए
आंसू बहाना भी हमेंशा रोना नहीं होता
कुछ लोग रोते हैं दूसरे को दहलाने के लिए
ताकि चंद सामान मिल जाए
अपने मन की भूख मिटाने के लिए
इंसान खेलता है जज्बातों के साथ
जो उसके लिए कभी पराया तो कभी अपना होता
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कवि और संपादक-दीपक भारतदीप
2 comments:
bhut sahi baat likh di aapne apni rachana me. sundar. jari rhe.
बढ़िया है.
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