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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Wednesday, June 24, 2009

अल्फ़ाजों की लहरें-हिंदी शायरी (hindi shayri)

दिल में जलती गम की आग
गर्मी में दोपहर की तपिश
उसे और बढ़ा देती है।
वर्षा की बूंदों के इंतजार में
में पथरा गयी हैं आंखें
जल रहा है बदन
कोई सागर ढूंढता हूं
जिसकी ठंडक तसल्ली दे सके
पर नउम्मीदी नरक सजा देती है।
उठा रहा हूं इसलिये अल्फाजों की लहरें
शायद बन जाये शायरी का कोई सागर
जिससे रौशन हो दिल
यही उम्मीद आसरा बढ़ा देती है।
......................

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