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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, June 8, 2009

वफादारी-हिन्दी लघुकथा

वह दोनों एक ही कार्यालय में काम करते थे पर बोस की नजरों में इनमें एक पहला नंबर और दूसरा दो नंबर कहलाता था। पहला नंबर हर काम को जल्दी कर अपने बास के पास पहुंच जाता और अपनी प्रशंसा पाने के लिये दूसरे की निंदा करता। बोस भी उसकी हां मां हा मिलाता और दूसरे नंबर वाले को डांटता।
दूसरे नंबर का कर्मचारी चुपचाप उसकी डांट सुनता और अपने काम में लगा रहता था।
एक दिन पहले नंबर वाले कर्मचारी ने दूसरे नंबर वाले से कहा-‘यार, तुम्हें शर्म नहीं आती। रोज बोस की डांट सुनते हो। जरा ढंग से काम किया करो। तुम्हें तो डांट पड़ती है बोस तुम्हारे पीछे मुझसे ऐसी बातें कहता है जो मैं तुमसे कह नहीं सकता।’
दूसरे कर्मचारी ने कहा-‘तो मत कहो। जहां तक काम का सवाल है तुम केवल फोन से आयी सूचनायें और चिट्ठियां इधर उधर पहुंचाने का काम करते हो। तुम बोस की चमचागिरी करते हो। उसके घर के काम निपटाते हो। बोस तुम्हारे द्वारा दी गयी सूचनायें और पत्रों के निपटारे का काम मुझे देता है और हर प्रकरण पर दिमाग लगाकर काम करना पड़ता है। कई पत्र लिखकर स्वयं टाईप भी करने पड़ते हैं तुम तो बस उनकी जांच ही करते हो पर उससे पहले मुझे जो मेहनत पड़ती है वह तुम समझ ही नहीं सकते। कभी कुछ ऊंच नीच हो जायेगा तो इस कंपनी से बोस भी नौकरी से जायेगा और मैं भी।’
पहले कर्मचारी ने कहा-‘उंह! क्या बकवास करते हो। यह काम मैं भी कर सकता हूं। तुम कहो तो बोस से कहूं इसमें से कुछ खास विषय की फाइलें मुझे काम करने के लिये दे। अपने जवाबों को टाईप भी मैं कर लिया करूंगा। मुझे हिंदी और अंग्रेजी टाईप दोनों ही आती हैं।’
दूसरे कर्मचारी ने कहा-‘अगर तुम्हारी इच्छा है तो बोस से जाकर कह दो।’
पहले कर्मचारी ने जाकर बोस को अपनी इच्छा बता दी। बोस राजी हो गया और उसने दूसरे कर्मचारी का कुछ महत्वपूर्ण काम पहले नंबर वाले को दे दिया।
पहले कर्मचारी ने बहुत दिन से टाईप नहीं किया था दूसरा वह पिछले तीन वर्षों से बोस की चमचागिरी के कारण कम काम करने का आदी हो गया था और दूसरे कर्मचारी के बहुत सारे महत्वपूर्ण कामों के बारे में जानता भी नहीं था-उसका अनुमान था कि दूसरे कर्मचारी के सारे काम बहुत सरल हैं जिनको कर वह बोस को प्रसन्न करता है।

उसके सारे पूर्वानुमान गलत निकले। वह न तो पत्रों के जवाब स्वयं तैयार कर पाता न ही वह दूसरे कर्मचारी की तरह तीव्र गति से टाईप कर पाता। काम की व्यस्तता की वजह से वह बोस की चमचागिरी और उसके घर का काम नहीं कर पाता।
बास की पत्नी के फोन उसके पास काम के लिये आते पर उनको करने का समय निकालना अब उसके लिये संभव नहीं रहा था। इससे उसका न केवल काम में प्रदर्शन गिर रहा था बल्कि बास की पत्नी नाराजगी भी बढ़ रही थी और एक दिन बास ने कंपनी के अधिकारियों को उसके विरुद्ध शिकायतें की और उसका वहां से निष्कासन आदेश आ गया।
वह रो पड़ा और दूसरे वाले कर्मचारी से बोला-‘यह मैंने क्या किया? अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मार ली। अब क्या कर सकता हूं?’
दूसरे कर्मचारी ने कहा-‘तुम चिंता मत करो। कंपनी के उच्चाधिकारी मेरी बात को मानते हैं। मैं उनसे फोन पर बात करूंगा। बस तुम एक बात का ध्यान रखना कि यहां अपने साथियों से वफादारी निभाना सीखो। याद रखो अधिकारी के अगाड़ी और गधे के पिछाड़ी नहीं चलना चाहिए।’
दूसरे कर्मचारी के प्रयासों से पहला कर्मचारी बहाल हो गया। दूसरे कर्मचारी की शक्ति देखकर बोस ने उसे तो डांटना बंद कर दिया पर पहले वाले को तब तक परेशान करता रहा जब तक स्वयं वह वहां से स्थानांतरित होकर चला नहीं गया।
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