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Monday, December 27, 2010

इंसानी दुनियां का दस्तूर-हिन्दी शायरी (insani duniya ka dastur-hindi shayari)

गरीबों और मज़दूरों की
दर्दनाक हालत पर रोते हुए
वह बड़े ख्यालात के इंसान होने की
पदवी जुटाते हैं,
वही करते हैं उन बादशाहों की खिदमत
इसलिये इनामों से नवाजे जाते हैं।
इंसानी दुनियां का दस्तूर यही है
लफ्जों के जादूगर बहुत हुए
उनके अल्फाजों की चर्चा
चाहे कितनी भी हो जाये
ज़माने के हालात कभी नहीं बदल पाते हैं।
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लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
writer and editor-Deepak Bharatdeep,Gwalior, madhyapradesh
http://dpkraj.blogspot.com

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