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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Thursday, June 12, 2014

सभी की खुशी के आसरे-हिन्दी कवितायें(sabhi ki khushi ke asre-hindi poem's)



पर्यावरण में शुद्धता के लिये वह उपाय पूछते हैं,
पेट्रोल का धुंआ उड़ाते हुए हरियाली के लिये जूझते हैं।
कहें दीपक बापू पेड़ काटकर खड़े कर दिये पत्थर के महल
अब लोग प्रकृति का आनंद अपने घर के  बाहर ढूंढते हैं।
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जहां बड़े बड़े छायादार पेड़ खड़े थे,
वहीं ऊंचे ऊंचे पहाड़ भी शान से अड़े थे,
वहीं अब लोहे और सीमेंट के ढांचे दिखते हैं,
कागजों में इस पर विकास की हम कहानी लिखते हैं।
कहें दीपक बापू तिजोरियां भर दी है लोगों ने सोने से
मगर सभी के दिल उदास फिर भी हैं
छूट गयी है हंसने की आदत
बदबूदार सासों के बीच फंसी जिंदगी
सभी की खुशी के आसरे दूसरों के दर्द पर टिकते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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