सफेद कागज पर
काली स्याही से
बहुत सारे
महापुरुषों के
किस्से लिखे
हैं।
सत्य के रास्ते
पर जो चले
जनमानस के हृदय
पर
देवता की तरह
बसे
कुछ ऐसे भी रहे
जिन्होंने
प्रचार के दम पर
काम से ज्यादा
नाम पाया
नारेबाजों के
स्वर में टिके हैं।
कहें दीपक बापू
देहधारियों से
हमेशा देवत्व
दिखाने की
आशा नहीं की जा
सकती,
कभी माया की
मजबूरी भी
देवों के सामने
भी खड़ी लगती,
फिर भी
जिन्होंने मनुष्य समाज में
चेतना की ज्योति
जगाई,
अज्ञान के
अंधेरे में
ज्ञानी की आग
लगाई,
उनके लिये हृदय
में
पवित्रता का भाव
आता
मगर जिन्होंने
चालाकियों से
लोगों को बहलाया
उनके एतिहासिक
शब्द
केवल चेलों की
चाल पर बिके हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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