कोई भोजन करने
कोई भजन सुनने
सर्वशक्तिमान के
दरबार में
हाजिरी लगाता
है।
हृदय में हो या
नहीं
हाथ नचाकर
अपना विश्वास
जताता है।
कहें दीपक बापू
भक्ति का रहस्य
नहीं समझता कोई
भक्त के मन की
भी
खबर किसी को
नहीं
मगर तोल
रहे खबरची
अंधविश्वास का
वजन
चीख चीख कर सुना
रहे
पर वह बढ़ नहीं
पाता है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
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