मुफ्त में कोई
चीज
मिलती नहीं है
फिर भी चाहत सभी
की होती है।
आंखें बिछाते लोग
कोई टपका दे
अपनी
दरियादिली उनके
हाथ में
आस होती कभी
पूरी
कभी नहीं भी
होती है।
कहें दीपक बापू
अपना हाथ जगन्नाथ
यूं ही नहीं कह
गये पुराने लोग
कामयाबी मिलती
जिन्दगी में
उन्हीं लोगों को
इज्जत से जीने
की
तमन्ना जिनके
अंदर होती है।
--------------
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका
६.अमृत सन्देश पत्रिका
No comments:
Post a Comment