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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Saturday, March 28, 2015

कोई किसी का नाथ नहीं है-हिन्दी कविता(koi kisi ka naath nahin ia-hindi poem)



सवार है वह सत्ता के रथ पर
घोड़ों की लगाम
उनके हाथ में नहीं है।

सारथि चाबुक के सहारे
रास्ता तय कर रहा है
सवार की सलाह
उसके साथ नहीं है।

कहें दीपक बापू तख्त पर
बैठने वालों के चेहरे देखकर
उनके शक्तिमान होने का अहसास
केवल एक भ्रम है,
जिंदगी की चाल
चलने के अपने क्रम है,
कोई राजा
कोई प्रजा
कोई किसी का नाथ नहीं है।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर  

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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