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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Friday, May 29, 2015

फीकी हंसी-हिन्दी कविता(fiki hansi-hindi poem)

बदहाली और तंगहाली
जहान में सभी जगह है
यही सोचकर हम
अपना दिल बहला  लेते हैं।

देश आजाद हैं
आम आदमी सभी जगह
बंधुआ मतदाता है
यह सोचकर हम
अपना दर्द सहला लेते हैं।

कहें दीपक बापू बुजदिलों पर
ठग भी राज कर लेते हैं
कायरों पर बेबस ताज धर देते हैं
यही सोचकर हम
मुश्किलों के नहले पर
 फीकी हंसी से दहला देते हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर   

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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