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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, May 3, 2015

इश्क का भूत-हिन्दी कविता(ishq ka bhoot-hindi kavita,devil of love-hindi poem)

ज़माने पर इश्क का भूत
अब जितना चढ़ा
नफरत के किस्से भी
उतने ही बढ़े हैं।

बेतार से बढ़ा संवाद
लोगों के बीच जितना
रिश्ते तार तार होने के खतरे
उतने ही बढ़े हैं।

कहें दीपक बापू ख्वाबों के साथ
जीने की आदत
जितनी बढ़ी है इंसानों में
दिल टूटने के खतरे
उतने ही बढ़े हैं।
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लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर   

athor and editor-Deepak  "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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