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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Saturday, May 14, 2016

अनमोल रत्न-हिन्दी कविता (Anmol Ratna-Hindi Poem)

सभी भव्य इमारतें
आम इंसान का 
निवास नहीं होती।

रसीले गुरुओं के आश्रम
कुशल चिकित्सकों की दुकान
भव्यता में कम नहीं होती।

कहें दीपकबापू अनमोल रत्न
प्यास नहीं बुझा पाते
फिर भी इंसान में
अमीर बनने की इच्छा
कभी कम नहीं होती।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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