एक तो रास्ता
ऊबड़खाबड़ था
फिर हमराही भी सुस्त थे
वरना हम भी मंजिल तक
पहुंच गये होते।
कहें दीपकबापू हमारा कारवां
बहुत बड़ा था
मजबूरियों के साथ
कमजोरी से खड़ा था
ताकतवारों की नीयत साफ होती
हम भी थकते नहीं
शिखर पर पहुंच गये होते।
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