चाहें तो स्वयं पर भी
हंस सकते हैं।
मगर बेबस
दूसरे पर मजाक बकते हैं।
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हमने तो चंद शब्दों में
अपनी बात कही।
उनकी अक्ल का
दरवाजा बंद था
इसलिये बाहर ही रही।
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पेड़ के पत्तों पर भी
जीवन संदेश अंकित है
कोई पढ़ तो पाये,
खुशी होती है
जब किसी को
चहकता देखते हैं।
इसी बहाने
अपना मन भी
महकता देखते है।
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जिस्म के घाव सभी देखें
दिल के कोई नहीं पढ़ पाता।
झेलते सभी
हर कोई शेर नहीं गढ़ पाता।
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हर बार तुम्हारी
पसंद की बात नहीं कहेंगे।
एक रस में डूबकर
हम अपनी पसंद नहीं रहेंगे।
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अब चित्रों से दिल
नहीं बहलता
कुछ शब्द भी लिखा करो।
स्थिर आंखें मौन हैं
मन की बात करते दिखा करो।
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