हमने बरसों तक उन पर रखा यकीन
मौका आया तो
पल भर में उन्होंने तोड़ दिया,
हर कदम पर हमसफर रहे
पल भर लड़खड़ायी हमारी किस्मत
उन्होंने हमें अकेला छोड़ दिया।
कहें दीपक बापू
किसके मिलने पर खुश हों
किसके बिछड़ने पर रोयें
धरती पर सांस ले रहे पशु और पक्षी भी
भरोसे के दिखते हैं
इंसानों ने रिश्ते निभाने में
जोड़ दी अपनी अपनी शर्तें
जहां दिखी अपने लिये उम्मीद
वहीं वफा का नाता जोड़ दिया।
मौका आया तो
पल भर में उन्होंने तोड़ दिया,
हर कदम पर हमसफर रहे
पल भर लड़खड़ायी हमारी किस्मत
उन्होंने हमें अकेला छोड़ दिया।
कहें दीपक बापू
किसके मिलने पर खुश हों
किसके बिछड़ने पर रोयें
धरती पर सांस ले रहे पशु और पक्षी भी
भरोसे के दिखते हैं
इंसानों ने रिश्ते निभाने में
जोड़ दी अपनी अपनी शर्तें
जहां दिखी अपने लिये उम्मीद
वहीं वफा का नाता जोड़ दिया।
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप,
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
writer and poet-Deepak raj kukreja "Bharatdeep",Gwalior madhya pradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
athor and editor-Deepak "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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