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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Monday, September 28, 2015

डर क्यों लगता है-हिन्दी कविता(Dar Kyon lagata hai-Hindi kavita)


किसी का आसरा टूटने का
डर क्यों लगता है
 जब दूसरा बन जाता है।

इंसानों से खौफ क्यों लगता
एक रूठता
दूसरा मन जाता है।

कहें दीपकबापू सिंहासन से
जब कभी नाता नहीं रहा
तब जमीन पर गिरने का
डर क्यों लगता है
जब एक पांव लड़खड़ाता
दूसरा तन जाता है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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