नहीं लिखते बेअदबी पर
यह न समझना
हमारा कोई ख्याल नहीं है।
नहीं बोलते दर्द देने पर
यह न समझना
हमें कोई मलाल नहीं है।
कहें दीपकबापू मौन से
सब कह जाते हैं
यह न समझना
मुकाबला करने की
हमारे पास कोई चाल नहीं है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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