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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, December 8, 2015

दिल का हाल-हिन्दी कविता(Dil ka hal-hindi kavita)

अपनी जिंदगी फंसी दी
बेकार के मसलों में
हल का उठाते सवाल।

 अपना मतलब निकले
सब ठीक लगता
वरना करते बवाल।

कहें दीपकबापू अकविता
लिखना कठिन कविता से
द्रवित शब्द नहीं ढूंढते ताल
आंखों से पढ़कर ही
कभी कोई समझे दिल का हाल।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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