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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Tuesday, January 5, 2016

ज्ञानी वही बन जाते हैं-हिन्दी कविता(Gyani vahi ban jate hain-Hindi Kavita)

कभी दर्द जिनको हुआ नहीं
जहान में हमदर्द
वही बन जाते हैं।

जंग कभी लड़ी नहीं
तलवार खरीदकर
वही वीर बन जाते हैं।

कहें दीपकबापू वाणी से
पराक्रमी शब्द बघारते
अज्ञानियों की भीड़ में
ज्ञानी वही बन जाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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